Mandir Masjid Kavita क्यों म से मंदिर म से मस्जिद

Mandir Masjid Kavita क्यों म से मंदिर म से मस्जिद

Hindu Muslim Kavita | Hindu Muslim Poem in HIndi

क्यों म से मंदिर म से मस्जिद Mandir Masjid Kavita
क्यों म से मंदिर म से मस्जिद Mandir Masjid Kavita

क्यों म से मंदिर म से मस्जिद Mandir Masjid Kavita

न जाने क्यों हिन्दू मुस्लिम में इतनी खाइयां है,
दोनों तो एक ही माँ की परछाइयां है.
‘म’ से मंदिर बने या बने मस्जिद,
‘र’ से रहीम या रहे राम,

जब इस नाम के मूल तत्त्व एक ही है.
तो क्यों न ‘म’ से बने “मैदान”.
जहाँ पर न तो हिन्दू खेले न तो मुस्लमान,
खेले तो सिर्फ मेरा भारत महान। मेरा भारत महान
न जाने क्यों हिन्दू मुस्लिम में इतनी खाइयां है,

सलमान खान का यह गीत सुने : हिन्दू मुस्लिम मिया भाय

तो क्यों न ‘म’ से बने मरीजों के लिए अस्पताल
जहाँ न तो हिन्दू जाये न तो जाये मुसलमान,
जाये तो सिर्फ मेरा भारत महान। मेरा भारत महान।
न जाने क्यों हिन्दू मुस्लिम में इतनी खाइयां है,

तो क्यों न बने एक बड़ा सा विद्यालय
जहाँ न तो गीता पढ़े, न पढ़े कुरान,
पढ़े तो सिर्फ भारत का एक इंसान।
न जाने क्यों हिन्दू मुस्लिम में इतनी खाइयां है,

आपस की इन बातों से सिर्फ ‘म’ मातम फैलाओगे।

तो क्यों एक दूसरे से यूँ लड़ते रहेंगे
देश का विकास हम कब करेंगे।

हमें मिलकर शांति का सन्देश फैलाना है,
देश को एक नई मंजिल तक पहुंचना है.

mandir masjid poem in hindi

Mandir Masjid Kavita hindu muslim kavita
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babari masjid

Demolition of the Babri Masjid

mandir masjid poem in hindi

na jaane kyon hindoo muslim mein itana khaiyaan hai,
donon to ek hee maan kee parachhaeeyaan hai.
‘ma’ se mandir bane ya bane masjid,
‘ra’ se praaptam ya raam,

jab is naam ke mool tattv ek hee hai.
to kyon na kyon em se bane “maidaan”.
jahaan par na to hindoo hindoo khele na to ilektroniks,
khele to sirph mera bhaarat mahaan. mera bhaarat mahaan
na jaane kyon hindoo muslim mein itana khaiyaan hai,
to kyon na. em se bane mareejon ke lie aspataal
jahaan bhee na to hindoo ho na to musalamaan ho,
ho to sirph mera bhaarat mahaan. mera bhaarat mahaan.
na jaane kyon hindoo muslim mein itana khaiyaan hai,

to kyon na bane ek bada sa vidyaalay
jahaan na to geeta padhe, na padhe kuraan,
padhe to sirph bhaarat ka ek insaan.
na jaane kyon hindoo muslim mein itana khaiyaan hai,

aapas kee in baaton se keval ’ma’ maatam phailao.

to kyon ek doosare se yoon ladate rahenge
desh ka vikaas ham kab karenge.

hamen milakar shaanti ka sandesh phailaana hai,
desh ko ek naee manjil tak pahunchana hai.


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