Essay On Krishna Janmashtami 2021

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Essay On Krishna Janmashtami 2021

कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध | krishna janmashtami 2021 nibandh in hindi

पुराणों और वेदों ग्रंथो के अनुसार समय को सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग इन चार युगों में विभाजित किया गया है। कृष्ण जी को द्वापर युग माना जाता है, श्री कृष्ण ने द्वापर युग में असमान्य शक्तियों के साथ भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहणी नक्षत्र में मध्यरात्री में कंश के कारागृह में कंश की बहन माँ देवकी और पिता वसुदेव द्वारा जन्म लिया। श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है।

Essay On Krishna Janmashtami 2021
Essay On Krishna Janmashtami 2021 – krishna janmashtami 2021 nibandh in hindi

शुभ ग्रहों और रोहणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि में जयंती नामक योग से 3112 ईसा पूर्व श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ था और ये समय रात के 12 बजे ज्योतिषी अनुसार उस समय शून्यकाल था। और माना जाता है कि आज तक धरती पर इस मूहर्त में किसी मानव ने जन्म नही लिया है ओर ना ही श्री कृष्ण जी के अलावा कोई भविष्य में जन्म लेगा, अतः हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।

श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदु धर्म के परंपरा को दर्शाता है व सनातन धर्म का बहुत बड़ा त्योहार है, यह त्यौहार कृष्ण जन्माष्टमी एक आध्यात्मिक उत्सव तथा हिंदुओं के आस्था का प्रतीक है। अतः भारत से दूर अन्य देशों में बसे भारतीय भी इस त्योहार को धूम-धाम से मनाते हैं।

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जन्माष्टमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? krishna jayanthi 2021

भगवान श्री कृष्ण को सनातन धर्म के लोग अपने ईष्ट आराध्य के रूप में पूजा करते है। यही कारण है कि भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी अनेकों प्रसिद्ध घटनाओं, लोक कथाओ को याद करते हुए उनके जन्म दिवस को उत्सव के रूप में मनाते हैं। ऐसा माना जाता है नक्षत्रों के चाल व भ्रमण के वजह से साधु संत – शैव संप्रदाय इसे एक दिन मनाते हैं, तथा अन्य गृहस्थ – वैष्णव संप्रदाय दूसरे दिन पूजा भगवान श्री कृष्ण की अर्चना व उपवास करते हैं।

ऐसा माना जाता है, इस दिन उपवास रखने से यह फल दाई होता है, और मनचाहा फल मिलता है. इस दिन क्या बच्चे क्या बड़े, सभी इस त्यौहार इ मस्ती में रम जाते है. उनमे से कुछ लोग उपवास व्रत धारण कर भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते है.

विश्वभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम व बाज़ार की चहल-पहल

भगवान् श्री कृष्ण के भक्त ऐसा नहीं है की सिर्फ भारत में ही है, इन्हें मानने वाले भारत के बाहर भी मिल जायेगे.

Essay On Krishna Janmashtami 2021
Essay On Krishna Janmashtami 2021 – krishna ashtami 2021

कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हफ्तों पहले से बाजारों की रौनक देखते बनती है, पुरे बाजार भर में रंग बिरंगे कृष्ण की संदुर मनमोहक मूर्तियां, फूल माला, पूजा सामग्री, मिठाई तथा सजावट के विविध समान की विक्री होती हैं।

यह पर्व पूरे भारत में अलग अलग तौर तरीके से मानाया जाता है। इसके अलावा भारत के बाहर बांग्लादेश के ढांकेश्वर मंदिर, कराची, पाकिस्तान के श्री स्वामी नारायण मंदिर, नेपाल, अमेरिका, इंडोनेशिया, समेत अन्य कई देशों में एस्कॉन मंदिर के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना  विभिन्न तरह से मनाया जाता है। यहाँ तक की बांग्लादेश में यह कृष्ण जन्माष्टमी राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, तथा इस दिवस पर राष्ट्रीय छुट्टी दी जाती है।

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत

भारत में अनेक जाति, वंश परपराओ के लोग रहते है जिस कारण यह त्यौहार कृष्ण जन्माष्टमी भारत के विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न तरह से मनाया जाता है। इस उत्सव पर लोग खासकर महिलाएं पूरा दिन व्रत रह कर, पूजा के लिए, घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रखते हैं। पूरा दिन भजन कीर्तन करते तथा उस मौसम में उपलब्ध सभी प्रकार के फल और सात्विक व्यंजन से भगवान को भोग लगा कर रात्रि के 12:00 बजे पूजा अर्चना करते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी त्यौहार में पूजा सामग्री का महत्व

पूजा हेतु दूध, मक्खन, दही, सभी प्रकार के फलाहार, पंचामृत जिनमें काजू, किसमिस, बादाम, नारियल जैसे मेवो का समावेश होता है, धनिया मेवे की पंजीरी, विभिन्न प्रकार के हलवे, अक्षत चावल, चंदन, रोली, गंगाजल, तुलसीदल, मिश्री तथा अन्य भोग सामग्री से भगवान के लिए भोग को तैयार किया जाता है। इनमें खीरा और चना जैसे पदार्थ का पूजा में विशेष है। ऐसी मान्यता है जन्माष्टमी के व्रत का विधि पूर्वक पूजन करने से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर वैकुण्ठ जो भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है।

Essay On Krishna Janmashtami 2021
Essay On Krishna Janmashtami 2021 – krishna jayanthi 2021

भारत के अलग अलग स्थान पर कृष्ण जन्माष्टमी त्यौहार की तयारी

भारत विभिन्न राज्यों से बना अनेको परम्पराओ, रीती रिवाजो वाला एक रंगीन (रंगो से भरा) देश है। इसमें सभी राज्य के रीति रिवाज, परंपरा एक दूसरे से भिन्न हैं। इसलिए भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कृष्ण जन्माष्टमी का विभिन्न स्वरूप देखने को मिलता है।

महाराष्ट्र की दही हांडी – गोपलाष्टामी

दही हांडी को रस्सी से बांधकर मानव पिरामिड बनाकर उसे फोड़ने की प्रथा मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात से संबंध रखता है। इसके पीछे की लोक कथा यह है कि अत्याचारी दुष्ट कंस द्वारा अत्याचार स्वरूप सारा दही और दुध किसानों से ग्वालों से ले लिया जाता था। जिससे बेचारे किसानों के पास कुछ नहीं बचाता था, इसका विरोध करते हुए श्री कृष्ण ने दुध-दही कंस तक न पहुंचाने का निर्णय लिया। इस घटना को ध्यान में रख दही हांडी का उत्सव मटके मे दही भरकर मटके को बहुत ऊचाई पर टांगा जाता है तथा फिर युवकों द्वारा उसे फोड़ कर मनाया जाता है।

इस समय पूरा महाराष्ट्र इन मानव पिरामिड को देखने के लिए जुटी रहती है, लोग इसके लिए ऊँचे ऊँचे पिरामिड बनाने के लिए महीनों से अभ्यास करते रहते है. इन पिरामिडों की ऊँचाई ८ मंजिला इमारतों जितनी भी की जाती है, जिससे कभी कभी कोई बड़ी दुर्घटना भी हो जाता है. इसमें भाग लेने वाले छोटे बच्चों से लेकर बड़े युवा भी होते है, इन लोगो को बाल गोपाल, बाल कृष्ण के नाम से संबोधित भी किया जाता है. देखने में बड़ा ही आनंदमय होता है, परन्तु उतना ही रोंगटे खड़े भी हो जाते है जब कोई ऊँचे पिरामिड से निचे गिरता है, जिनमे इनके हाथ, पैर भी टूटते है, यहाँ तक की जान भी जाने का खतरा बना रहता है.

मथुरा और वृदावन की अलग छटा

वैसे तो जन्माष्टमी का त्योहार विश्व भर जहां सनातन धर्म बसा हुआ है जहाँ श्री कृष्ण को मानने वाले है वहां  मनाया जाता है, पर उत्तर प्रदेश के मथुरा वृदावन में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यहां कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर रासलीला का आयोजन बढे ही धूम धाम से किया जाता है। देश-विदेश से सैलानी व लोग इस रासलीला के सुंदर अनुभव का आनंद उठाने आते हैं।

Essay On Krishna Janmashtami 2021
Essay On Krishna Janmashtami 2021

दिल्ली में एस्कॉन मंदिर की धूम

देश भर में भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है, और देश भर में एस्कॉन मंदिर भी है, जिनमे से कृष्ण मंदिरों में दिल्ली में स्थित एस्कॉन मंदिर प्रसिद्ध है। जन्माष्टमी की तैयारी इन मंदिर में हफ्तों दिन पहले से शुरू कर दी जाती है, उत्सव के दिन विशेष प्रकार का प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है, तथा जगह भव्य झांकी प्रदर्शन किया जाता है, जिसे देखने के लिए और भगवान कृष्ण के दर्शन हेतु विशाल भीड़ उन मंदिरों में होती है। इस भीड़ में आम जनता के साथ देश के जाने माने कलाकार, राजनीतिज्ञ तथा व्यवसायी भगवान कृष्ण के आशिर्वाद प्राप्ति की कामना से पहुंचते हैं।

देश के अन्य मंदिर के नज़ारे

देश भर में लोग मंदिरों को फूलों तथा रंगों के सहायता से कुछ दिन पहले से सजाना प्रारम्भ कर देते है। मंदिरों में कृष्ण जीवन से जुड़े विभिन्न घटनाओं प्रसंगों को झांकी का रूप दिया जाता है। इस अवसर पर भजन कीर्तन, नाटक के साथ-साथ नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी Krishna Janmashtami पर्व का महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का महत्व बहुत व्यापक है, भगवत गीता में एक बहुत प्रभावशाली कथन है “जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं जन्म लूँगा”। बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो एक दिन उसका अंत अवश्य होता है। जन्माष्टमी के पर्व से गीता के इस कथन का बोध मनुष्य को होता है। इसके अतिरिक्त इस पर्व के माध्यम से निरंतर काल तक सनातन धर्म की आने वाली पीढ़ी अपने आराध्य के गुणों को जान सकेंगी और उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगी। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हमारे सभ्यता व संस्कृति को दर्शाता है।

युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता, संसकृति से अवगत कराने के लिए, इन लोकप्रिय तीज-त्योहारों का मनाया जाना अति आवश्यक है। इस प्रकार के आध्यात्मिक पर्व सनातन धर्म के आत्मा के रूप में देखे जाते हैं। हम सभी को इन पर्वों में रुचि लेना चाहिए और इनसे जुड़ी प्रचलित कथाओं को जानना चाहिए।

Essay On Krishna Janmashtami 2021
Essay On Krishna Janmashtami 2021

कृष्ण की कुछ प्रमुख जीवन लीला

  • श्री कृष्ण के बालक आवस्था के कारनामों को ही देखते हुए इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है, वह निरंतर चलते रहने और धरती पर अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवतरित हुए। एक के बाद एक राक्षसों (पूतना, बघासुर, अघासुर, कालिया नाग) के वध से उनकी शक्ति और पराक्रम का पता चलता है।
  • अत्यधिक शक्तिशाली होने के उपरांत (बाद) भी, वह सामान्य जनों के मध्य सामान्य व्यवहार करते, मटके तोड़ देना, चोरी कर माखन खाना, ग्वालो के साथ खेलना जीवन के विभिन्न पहलुओं के हर भूमिका को उन्होनें आनंद के साथ जीया है।
  • श्री कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। सूफी संतों के दोहों में राधा तथा अन्य गोपियों के साथ कृष्ण के प्रेम व वियोग लीला का बहुत संदुर चित्रण प्राप्त होता है।
  • कंस के वध के बाद कृष्ण द्वारकाधीश बने, द्वारका के पद पर रहते हुए वह महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बने तथा गीता का उपदेश देकर अर्जुन को जीवन के कर्तव्यों का महत्व बताया और युद्ध में विजय दिलाया।

कृष्ण परम ज्ञानी, युग पुरूष, अत्यधिक शक्तिशाली, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले तथा एक कुशल राजनीतिज्ञ थे पर उन्होंने अपनी शक्तियों का उपयोग कभी स्वयं के लिए नहीं किया। उनका हर कार्य धरती के उत्थान के लिए था।

कारावास में कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण के कारागृह में जन्म लेने के वजह से देश के ज्यादातर थाने तथा जेल को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सजाया जाता है तथा यहां पर्व का भव्य आयोजन किया जाता है।

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श्री कृष्ण को द्वापर युग का युगपुरूष कहा गया है। श्री कृष्ण सनातन धर्म के अनुसार विष्णु के आंठवे अवतार के रूप में अवतरित  हैं, इसलिए दुनिया भर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव हर्ष और उल्लास और मजे के साथ मनाया जाता है।

श्री कृष्ण के छवि को दर्शाते हुए भारत के अलग-अलग क्षेत्र में कोई दही हांडी फोड़ कर मनाता है, तो कोई श्री कृष्ण रासलीला करता है।

श्री कृष्ण के कार्यों के वजह से महाराष्ट्र में विट्ठल, राजस्थान में श्री नाथजी या ठाकुर जी, उड़ीसा में जगन्नाथ तथा इसी तरह विश्व भर में अनेक नामों से पूजा जाता है। उनके जीवन से सभी को यह प्रेरणा लेने की आवश्यकता है की चाहे जो कुछ हो जाए व्यक्ति को सदैव अपने कर्म पथ पर चलते रहना चाहिए।

FAQ – Krishna Janmashtami

कृष्ण जन्माष्टमी Krishna Janmashtami क्यों मनाया जाता है?

कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी Krishna Janmashtami कब मनाया जाता है?

कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्णपक्ष के अष्टमी के दिन मनाया जाता है।

भगवान श्री कृष्ण किसके अवतार थे?

वे विष्णु के 8वें अवतार थें।

भगवान श्री कृष्ण किसके संतान थें?

वे वासुदेव व देवकी के आठवीं संतान थे।

श्री कृष्ण का जन्म कहाँ हुआ था?

कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।

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