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Problems of Population Essay in Hindi Problems of Population
जनसंख्या वृद्धि एक समस्या – Problems of Population बन गयी है। जनसंख्या वृद्धि के कारण जनसमूह से समाज और समाज से देश और देश से विश्व का निर्माण होता है, लेकिन संतुलन एक स्वस्थ समाज और देश के लिए नितांत आवश्यक है। ईश्वर ने सजीवों में प्रजनन का विशेष गुण बनाया है जिससे सजीव अपने वंश को बढ़ाते हुए अपना अस्तित्व कायम रखें हुए है। जनसंख्या वृद्धि में संतुलन हो तो या देश और मानव कल्याण के लिए मंगलमय है।
लेकिन विगत 50 वर्षों में जनसंख्या वृद्धि की दर भारत के लिए चिंता का सबब बना हुआ है ऐसा लगता है कि भारत में जनसंख्या विस्फोट हो चुका है धरती का संतुलन बिगड़ता जा रहा है और अब मानव जाति को इसका कुप्रभाव दिखने भी लगा है आए दिन भूकंप बाढ़ सूखा जंगलों में आग तथा महामारी देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति हमें कुछ संदेश देना चाहती है ।
ऐसा लगता है कि यह प्रकृति कह रही है कि “अब वह इस अपार जनसंख्या का बोझ नहीं सह सकती”।
भारत में जनसंख्या वृद्धि के 2 मूल कारण हैं अशिक्षा और गरीबी। अधिकांश सामाजिक समस्या का मूल्य मूल्य शिक्षा ही होता है, और अशिक्षित व्यक्ति की सोच सदैव संकुचित तथा व्यक्तिगत होती है वह राष्ट्र और समाज की चिंता से परे होता है अतः वह है यह समझने में असमर्थ है की जनसंख्या वृद्धि की क्या समस्या है? और वह इसके लिए जिम्मेदार क्यों है?
Effect of overpopulation
और दूसरा कारण है गरीबी भारत की 30% जनसंख्या करीब 40 करोड लोग अति गरीबी रेखा बीपीएल के नीचे आते हैं और 40% जनसंख्या 50 करोड़ निम्न मध्यम वर्ग में आते हैं अब आप समझ सकते हैं कि जिस देश में तीन चौथाई लोग गरीब वर्ग में हो जनसंख्या नियंत्रण के बारे में बोलना बेमानी होगी लोगों का मानना होता है की परिवार में जितनी ज्यादा लोग होंगे आय के स्रोत उतने ही अधिक होंगे यही कारण है ज्यादातर विकासशील देशों में जनसंख्या वृद्धि दर बहुत अधिक है।
लगातार बढ़ती आबादी के चलते बेरोजगारी भ्रष्टाचार सामाजिक अपराध जैसी अनेक आर्थिक तथा सामाजिक समस्याएं पैदा हो रही है जनसंख्या वृद्धि 1951 में 35.68 करोड जनसंख्या थी और 4.4 करोड़ टन खाद्यान्न की आवश्यकता होती थी लेकिन उत्पादन चार करोड़ टन ही होता था फलस्वरूप 70 वर्षों में भुखमरी की समस्या विकराल रूप ले लिया है।
भारत में प्राणी जन्य प्रोटीन (दूध मांस) प्रति व्यक्ति 5.6 ग्राम है। जबकि दुनिया के अन्य देश जैसे न्यूजीलैंड 69.4 ग्राम, ऑस्ट्रेलिया 62.5 ग्राम, अमेरिका 60.7 ग्राम इंग्लैंड ४३.4 ग्राम है, अब इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय लोग की जीवन गुणवत्ता तथा जीवन आयु कितना निम्न कोटि का है। और इसका कारण सिर्फ एक जनसंख्या में अपार वृद्धि।
प्रति व्यक्ति मिलने वाले भोजन को कैलोरी में तुलना करें तो आयरलैंड में 3480 कैलोरी प्रति दिन, न्यूजीलैंड में 3380 कैलोरी प्रति दिन, ऑस्ट्रेलिया में 3280 कैलोरी प्रति दिन, अमेरिका में 3117 कैलोरी प्रति दिन, इंग्लैंड में 3080 कैलोरी प्रति दिन है जबकि भारत में प्रति व्यक्ति 1622 कैलोरी प्रति दिन भोजन मिलता है स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग थिंग (Standard of Living Things) जीवनमान में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में हम भारतीय कहीं भी नहीं दिखते हैं।
भारत की प्रति व्यक्ति आय सालाना 2018 के अनुसार 1000 से ढाई हजार रुपए तक की है जबकि हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका का प्रति व्यक्ति आय 2000 से 5000 तक ब्राजील 5000 से ₹10000 तक, जापान – कनाडा यूरोपीय देश $4000 से $5000 और अमेरिका का $6000 से अधिक है।
और अब बात करते हैं जनसंख्या की तो भारत 135 करोड़ अमेरिका 32 करोड यूरोपीय देश कुल आबादी 40 करोड तक तस्वीर साफ होती है कि भारत में प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति भोजन में इतना पिछड़ा क्यों है? क्यूंकि हमारी देश की आबादी अमेरिका के करीब 4।5 गुना है।
पिछले 20 से 30 वर्षों में बढ़ती जनसंख्या का परिणाम हमें दिखने लगा है। कृषि क्षेत्र पर बोझ बढ़ता जा रहा है कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है कृषि अब बढ़ती जनसंख्या का भार उठाने में सक्षम नहीं है जिससे बेरोजगारी का संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है।
स्वास्थ्य सेवा अपर्याप्त है हमारे देश में 12000 लोगों के लिए औसतन एक डॉक्टर है जबकि अमेरिका में 400 व्यक्ति पर एक डॉक्टर है। शिक्षा का स्तर तो और भी बुरा है विद्यालय के एक क्लास की एक पीरियड बात करें तो 35 मिनट के लेक्चर में 60 से 70 बच्चे बैठते हैं मतलब की प्रति मिनट करीब २ बच्चे को एक शिक्षक संभालता है इन सभी कारणों से तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा की गुणवत्ता कैसी होगी?
माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी परवरिश नहीं दे दे सकते जिसका परिणाम यह हो रहा है कि बच्चे मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं और परिवार विभाजन, बलात्कार, आत्महत्या, चोरी, अपहरण, आतंकवाद, नक्सलवाद की समस्या बढ़ रहा है एक सभ्य समाज के लिए शुभ संकेत नहीं है।
अतः भारत सरकार को चीन जैसी सख्त नीति वन चाइल्ड पॉलिसी One Child Policy का नियम बनाकर जनसंख्या को नियंत्रण करने की कोशिश करनी चाहिए तभी भारत का भविष्य सुदृढ़ हो सकता है अन्यथा वर्तमान के साथ-साथ भविष्य को भी हम खो देंगे भारत में 1984 में “हम दो हमारे दो” जैसे अभियान को शुरू किया था परंतु यह सिर्फ पन्नों पर ही रह गए इसे असल में लाना होगा और उस पर अमल भी करना होगा।
इसलिए जल्द से जल्द जनसँख्या नियंत्रण के नियम को कठोरता से लोगु करना होगा और जनसंख्या वृद्धि एक समस्या – Problems of Population को कुछ हद तक नियंत्रण कर पाएंगे।
तब कहीं जाकर जनसंख्या वृद्धि एक समस्या – Problems of Population जैसे विनाश कारी और विकराल समस्या का निवारण हो पायेगा, और भारत एक विकसित, श्रेष्ट और संपन्न राष्ट्र बन पायेगा।
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धन्यवाद!
nice Artical , Ji hind
ince information in your Artical