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bhrashtachar ki samsya hindi nibandh essay भ्रष्टाचार की समस्या हिंदी निबंध
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bhrashtachar ki samsya hindi nibandh essay भ्रष्टाचार की समस्या हिंदी निबंध
भ्रष्टाचार हमारे जीवन में बोली जाने वाली आम भाषा में सामान्य शब्द बन गया है अब तो ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार जीवन का अंग है भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है “भ्रष्ट आचरण।” हम ऐसा कह सकते है कि जो हमने अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को ताक पर रखकर काम करते हैं उसे ही भ्रष्टाचार कहते हैं।
कीडेमकोडे की तरह ए देश नोच नोच ए खाते है,
शिक्षा, विकास, और प्रगति के नाम पर देश लुट ए जाते है।
अब भी देश के युवा तुम नहीं जागो तो,
वह दिन दूर नहीं, ए हमें नोच नोच खा जायेंगे।
आजकल भ्रष्टाचार की समस्या सभी विकासशील देशों में है। अंतरराष्ट्रीय संस्था अब तो भ्रष्टाचार की रैंकिंग भी करती है। विश्व बिरादरी में भारत की रैंकिंग भ्रष्टाचार के क्षेत्र में 94 पर है। भ्रष्टाचार का दायरा दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। आज समाज में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ जो भ्रष्टाचार के रंग में रंगा ना हो।
अनैतिक कार्य को कराने के लिए रिश्वत लेना देना, आवश्यक चीजों की कालाबाजारी, समय समय पर वस्तुओ के दाम बढ़ाकर उसे बेचना, बिना पैसे लिए कोई काम का ना करना, चुनाव में धांधली, चुनाव में नोट फॉर वोट, ब्लैकमेल, टैक्स की चोरी, झूठी गवाही, झूठे दस्तावेज तैयार करना, परीक्षा में नकल और प्रश्नपत्रिका लिखकर उत्तर पत्रिका का गलत मूल्यांकन करना, हफ्ता वसूली न्यायपालिका में पक्षपातपूर्ण निर्णय देना, पैसों के दम पर खबरें चलाना, अपराध छुपाना, स्कूल कॉलेजों में दाखिला, सरकारी अस्पताल में बिना पैसे इलाज में भेदभाव, मृत्यु प्रमाण पत्र में रिश्वत जैसे अनेक उच्च जीवन के सामान्य क्रियाकलापों में भ्रष्टाचार लिप्त हो चूका है।
और भ्रष्टाचार समाज और देश की अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह खोखला कर दिया है। आज भ्रष्टाचार में लिप्त लोग सरेआम देश की अर्थव्यवस्था के समानांतर अपनी ही व्यवस्था, काम, और गलत कामो को चला रहे हैं, जो कि किसी भी देश के लिए घातक है। भ्रष्टाचार किसी भी समाज और देश के लिए दोहरी मार हैं एक ओर सरकारी खजाने को चूना लगाया जाता है उसे लुटा जाता है तो दूसरी ओर आम गरीब जनता को सरकारी सुविधाओं के लिए अधिक कीमत देनी होती है।
आज सरकार अरबों खरबों रुपए सरकारी शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्यान्न वितरण, वृद्धा पेंशन पर खर्च करती है लेकिन लोगों को इन सेवाओं का लाभ नहीं मिलता है। यही कारण कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार काफी धीमी थी और धीमी है तो भारतीय लोगों का जीवन मान अंतर्राष्ट्रीय मानक से कहीं पीछे है। किसी भी समस्या के पीछे कोई ना कोई कारण होता है और भ्रष्टाचार भी इससे अछूता नहीं है।
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लोगों में असंतोष और असमानता, स्वार्थ तथा ईर्ष्या, संशोधन की कमी, मन में हीन भावना आदि के कारण लोग भ्रष्टाचार से अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण कर रहे हैं भारत में पिछले 70 वर्षों से सामाजिक तथा आर्थिक असमानता की खाई बढ़ चुका है और इसी असमानता की खाई में भ्रष्टाचार की जड़ों को जमाने का अवसर दिया है।
इस एक उदाहरण साफ है, आरक्षण। जिसे एक सिमित समय के लिए और निर्बल कमजोर, वर्ग के लिए रखा गया था पर धन्ना सेठो, बाबु लोगो ने इसका गलत फायदा उठाया, जिसके कारण आज भारत में गरीबो की संख्या इतनी है की हर वर्ष सिर्फ भूख से भारत में हजारों लोग मर जाते है। भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई है अब इसे रोकना असंभव सा लगता है। और यही कारण है आज भ्रष्टाचार की समस्या हिंदी निबंध Hindi Essay बन सी गयी है।
भ्रष्टाचार हमारे समाज में एक बीमारी की तरह अर्थव्यवस्था है और जो एक बीमारी की तरह फैलता जा रहा है इसने दीमक की तरह हमारी अर्थव्यवस्था तथा सामाजिक व्यवस्था को पंगु करता जा रहा है भ्रष्टाचार ने तो खेल के समंदर को भी मटमैला कर दिया है। मैच फिक्सिंग, spot-fixing, पैसे लेकर खिलाड़ियों को मौका देना सरकारी नौकरी के लालच में रिश्वत देना, कन्या भ्रूण हत्या के लिए डॉक्टर को रिश्वत देते हैं हज यात्रा कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए भी रिश्वत देना पड़ता है यानी रिश्वत मंदिर मस्जिद को भी नहीं छोड़ा पैसों की लालच देकर धर्म परिवर्तन करना यह एक आम सी बात हो गई है।
ऐसा नहीं कि भ्रष्टाचार केवल भारत में है बल्कि दुनिया के बड़े-बड़े देशों में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। यही कारण कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 अक्टूबर 2003 को भ्रष्टाचार विरोधी दिवस का प्रस्ताव पास किया इस प्रकार 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार दिवस के रूप में मनाया जाने लगा भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा यह मेरी अपना नजरिया है निजी राय है। और शायद आप भी यही सोचते होंगे?
कहते हैं कि “बिन भय होत न प्रीत”. bhrashtachar ki samsya hindi nibandh essay भ्रष्टाचार की समस्या हिंदी निबंध भ्रष्टाचार को समाप्त करना है तो मेरी समझ में 3 उपाय किए जाने चाहिए ..
पहला उपाय सरकार को कठोर दंडात्मक व्यवस्था का प्रावधान करना चाहिए और यह केवल कागजी नहीं होनी चाहिए कड़ी निगरानी और तीव्र जांच होनी चाहिए तीव्र प्रक्रिया द्वारा भ्रष्टाचारियों को कड़ी से कड़ी सजा तुरंत देनी चाहिए।
दूसरा उपाय समाज में व्याप्त असंतोष तथा समानता को दूर करने के लिए लोगों तक सुविधाओं को आसानी से पहुंच जाना चाहिए और बिचौलियों को खत्म कर देना चाहिए समाज में यदि असंतोष तथा समानता होगी तो भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है।
और तीसरा उपाय कि लोगों को जागरूक करना क्योंकि रिश्वत लेना और रिश्वत देना दोनों ही अपराध हैं अतः लोगों को धैर्य पूर्वक अपने अधिकार और कर्तव्य का पालन करना चाहिए यदि समाज जागरूक होगा तभी भ्रष्टाचार रूप भस्मासुर का वध कर सकते हैं एक शब्द प्रगतिशील समाज की कल्पना को हकीकत में बदल सकते हैं।
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