Table of Contents
महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi
मोहनदास करमचन्द गान्धी –
MOHAN DAS KARAMCHAND GANDHI
महात्मा गाँधी ३० जनवरी को पूण्यतिथि है. भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को पहली बार सुभाषचंद्र बोस जी,६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है।
महात्मा की उपाधि
रवीन्द्रनाथ टैगोर जी, मोहनदास करमचंद गांधी को ‘महात्मा’ के रूप में ‘प्रथम बार पुकारा‘ गया था. महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi जी अहिंसा के मार्ग पर चल कर सत्याग्रह कर भारत की आजादी की संकल्पना किये थे. और इसमें गाँधी जी बहुत हद तक अहिंसा जैसे मार्ग पर चल कर अंग्रेजो से लोहा मनाये. गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की।
उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन निर्वाह किये और भारतीय परंपरा के अनुसार पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे उन्होंने स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने हमेसा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये समय समय पर भी उपवास रखे।
यह तो हम सब जानते हैं कि देश को आजाद करवाने में बापू का योगदान बहुत बड़ा है। उनको याद करने के साथ साथ उनके तरीके को भी सब याद करते है। गांधी जी ने देश के इतने बड़े आंदोलन की शुरुआत अहिंसा, सच्चाई और शांति के बलबूते से की थी। इन सिद्धांतों के बल से बापू ने देश को आजाद करवायने में योगदान रहा है।
महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi का मानना था कि अंग्रेज भारत में शासन इसलिए कर पाए क्योंकि उन्हें भारतीयों का साथ मिला। अंग्रेज सिर्फ भारत पर शासन करते थे। उसके अलावा उनको आर्थिक मदद भारतीयों से ही मिलती थी। जिसका फायदा गांधी जी ने बखूबी उठाया। गांधी जी ने पूरे देश को अंग्रेजी उत्पादों का पूरी तरीके से बहिष्कार करने की अपील की। जिसका फायदा भारत को हुआ और बहुत बड़ा नुकसान अंग्रेजो को हुआ।
महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi और उनके आंदोंलन
Top Movements Led by the Father of the Nation Mahatma Gandhi for India’s Independence
गांधी जी के आंदोलन कुछ लोगोे के साथ शुरु होते थे। लेकिन आंदोलन जैसे-जैसे आदोलन चलता वैसे वैसे लोग उसमें जुड़ते रहते थे। उनमें से एक उदाहरण नमक सत्याग्रह आंदोलन का दे सकते है। जो कुछ लोगों के साथ शुरु हुआ था लेकिन बाद में पूरा देश शामिल हो गया था। पूरा देश महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi के मार्गदर्शन पर चलने के लिए तैयार थे।
नमक यात्रा का मुख्य मकसद अंग्रेजी कर व्यवस्था का विरोध करना था। जिसकी वजह से भारतीयों का जीना दुष्वार हो गया था। इस आंदोलन कि वजह से कई गिरफ्तारियां भी हुई थी। लेकिन इस आंदोलन को अंग्रेज रोक नहीं पाए। और इस आंदोलन को आपार सफलता मिली। जिस वजह से अंग्रेजों को अपना शासन कमजोर होता नजर आ रहा था।
चंपारण सत्याग्रह – 1917 Champaran Satyagraha
यह सत्याग्रह बिहार के चंपारण में महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi द्वारा की गयी थी. दरअसल यहाँ अंग्रेज किसानो को खेती के बहुत बड़े हिस्सों में नील की खेती के लिए जोर जबरन करते थे नहीं मानने पर बल पूर्वक भी काम करते थे. यह बात मान लेने के बाद उनके फसलों को कम दामों में खरीदते और लगान भी वसूलते थे जिसके कारण किसानो को नुकसान के आलावा की नहीं मिलता था. और नील किसानो के कोई काम का भी नहीं था. जिसके करना किसानो का जीवन जीना दूभर हो गया था,
तब कहीं in समस्याओ को लेकर राजकुमार शुक्ल ने लखनऊ में गांधी जी से मुलाकात की और गान्धी जी बिहार चम्पारण जाकर हड़ताल किये किसानो ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और अंग्रेजों को महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi के शर्तों के सामने झुकना पड़ा. अंग्रजों ने एक समिति गठित किये और गांधी जी को उसके सदस्य नियुक्त किया गया और किसानों की सभी मांगे पूरी की गयी.
खेड़ा सत्याग्रह – 1918 Kheda Satyagraha
गुजरात के खेडा में हुए यह सत्याग्रह में कर – लगान को लेकर अओंदोलन हुआ था. उस समय बाढ़ के कारण सारी फसले बर्बाद हो चुकी थी उसके बावजूद भी अंग्रेजों ने किसानो से कर वसूलने का निर्णय लिया. जब किसानो के पास आनाज की उपज थी ही नहीं तो वह कर कैसे दे सकते थे. मोहन लाल पांडे द्वारा चलाया गया यह कर माफ़ी आन्दोलन पुरे देश में फैला जिसमे गाँधी जी के साथ साथ वल्लभभाई पटेल और इंदुलाल याग्निक भी 22 मार्च, 1918 को इस आंदोलन में शामिल हुए. अंत में आन्दोलन जोर पकड़ने लगा और अंग्रेजो को अपने निर्णय से पीछे हटना पड़ा.
खिलाफत आंदोलन -1919 Khilafat Movement
तुर्की में प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के लोगो के साथ हुए अंग्रजो द्वारा अन्याय के खिलाफ खिलाफत अन्दोंलन शुरू हुआ. तुर्की के खलीफा के समर्थन से खिलाफत नाम अस्तित्व में आया. जिसमे महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi ने भारत की अगुवाई के तौर पर इस तुर्की के आन्दोलन को समर्थन दिया , गांधी जी के आह्वाहन पर पूरा देश इस ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आन्दोलन में सक्रीय हुआ. और आगे चलकर यह आन्दोलन रंग लाई जिसके बाद गाँधी जी एक राष्ट्रनेता तौर पर उभरे.
असहयोग आंदोलन – 1920 Non-Cooperation Movement
जलियावाला नरसंहार ने असहयोग आन्दोलन को जन्म दिया. महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi इस घटना के बाद बहुत आहात हुए और अब उन्होंने भी स्वराज्य की मांग को आगे रखा, पुरे देश में अंग्रेजो के असहयोग करने की निति अपनाई. लोगो का जान समर्थन पुरे देश से मिलने लगा. लोगों, यहाँ तक बूढ़े औरते, और बच्चों ने भी ने स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालयों जैसे ब्रिटिश सरकार के उत्पादों और प्रतिष्ठानों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया।
सरकारी वकील काम करना बंद कर दिए, सरकारी संस्थानों में लोग जाना बंद कर दिए, किसान ने इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. अंग्रजो को यह सब रस नहीं आ रहा था. उनका मकसद था इस अहिसा के सत्याग्रह को हिंसात्मक किया जाये क्युकी इस सत्याग्रह को विदेशी देशो से भी समर्थन मिलने लगा था.
अंग्रजो के उकसाने पर चौरी चौरा में एक बड़ी घटना घटी, एक शांतिपूर्वक जुलुस पर अंग्रेजों द्वारा लाठी चलाने और रोक लगाने पर उग्र और गुस्साई जुलुस ने पुरे पोलिस चौकी को आग लगा दी और उसमे २३ पुलिस वालों की जाने चली गयी. यह घटना गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन के नियमो के खिलाफ था और गाँधी जी ने बीच में ही यह आन्दोलन रोक दी. पुरे देश की जनता में गाँधी जी के इस फैसले से रोष उत्पन्न हुआ और लोग नाराज भी हुए.
सविनय-अवज्ञा आंदोलन – 1930 Civil-Disobedience Movement
फरवरी १९३० में पूर्ण स्वराज्य की मांग उठी, इसके नेता गाँधी जी को चुना गया और सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरंभ किया गया. गाँधी जी ब्रिटिश हुकूमत से 11 मांगे रखी थी जिसे उस समय के तात्कालिक प्रधान मंत्री लार्ड इरविन (Lord Irwin) को 2 मार्च, 1930 को पत्र लिख कर उन 11 मागो को रखा, और यह भी निर्देश दिए यदि वह in मांगो को नहीं मानते तो १२ मार्च १९३० को नमक कानून का उल्लंघन करेंगे.
गाँधी जी के 11 मागे जो इरविन सरकार के समक्ष रखा गया . the eleven demands of Gandhiji in the Gandhi-Irwin Pact
महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi
- भू-राजस्व की दर में कमी
- नमक कर का उन्मूलन
- रुपये और स्टर्लिंग के विनिमय अनुपात में परिवर्तन
- सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई
- विदेशी कपड़े पर सीमा शुल्क
- नागरिक प्रशासन के खर्चों में कमी
- सैन्य खर्च में कमी
- नशीले पदार्थों का निषेध
- पोस्टल रिजर्वेशन बिल की स्वीकृति
- सीआईडी विभाग का उन्मूलन
- नागरिकों को आत्म-सुरक्षा के लिए हथियारों के लाइसेंस का मुद्दा।
अंग्रेज सरकार द्वारा यह सभी मांगे अनदेखा कर दिया गया. तब गाँधी जी अपने कहे मुताबिक नमक कानून को उलंघन किया और सविनय अवज्ञा आदोंलन की नींव रखी गयी. जगह जगह यह आन्दोलन अब जेड पकड़ने लगी बंबई, बंगाल,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रांत और मद्रास में बिना अंग्रजो के नियम से नमक बनाया जाने लगा.
महिलाओ ने शराब बंदी पर धरना देना शुरू कर दिए. विदेशी कपड़ो का बहिष्कार किया जाने लगा. मुंबई में सभी मिलें बंद होने लगी, और भारतीय व्यापारी भारत माल का उत्पादन बढ़ाने लगे, जिससे विदेशो के माल पर रोक लग सके. किसानो ने लगान देना बंद कर दिए.
पर एक तरफ सभी भारतीय इस आजादी की लडाई में अपने जान की परवाह किये बगैर अंग्रेजो की सत्ता से लड़ रहे है, अंग्रेज जालिमो की तरह इन पर अत्याचार कर रहे थे, कहीं पर उनकी जाने ले ते तो कहीं पर उन्हें जेल में बंद कर देते.
लाठियां चलते वही दूसरी तरफ मोहम्मद अली जिन्ना के कहने पर बहुत से मुसलमानों ने इस आन्दोलन में भाग नहीं लिया उन्हें लगा की यह आन्दोलन मुसलमनो के पक्ष में नहीं है. पर महत से मुसलमानों व पठानों ने खान अब्दुल गफ्फार खाँ का साथ देकर इस आन्दोलन को सक्रीय बनाये रखा.
सभी बड़े नेताओ को गिरफ्तार कर लिया गया. जवाहरलाल नेहरु, गाँधी जी को जेल में डाल दिया गया. करीब ६० से ७० हजार लोगो को जेल में बंद कर दिया गया था. इन दमन करी नीतियों के कारण आन्दोलन को 1934 में वापस ले लिया गया|
पर यह आन्दोलन अंग्रेजी सत्ता को यह अबगत करा दिया था की भारतीय एक जुट हो जाये तो जल्द ही उन्हें भारत छोड़ जाना प् सकता है.
भारत छोड़ो आंदोलन – 1942 Quit India Movement
भारत छोड़ो आंदोलन (1942) को महात्मा गाँधी जी द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 8 अगस्त 1942 को अंग्रेजो भारत छोडो जिसमे अंग्रेजो को भारत छोड़ने का आह्वाहन किया गया. इस आन्दोलन में गाँधी ने ‘करो या मरो’ नारा दिया। अंग्रेज जानते थे बढे नेताओ को बंद कर लेने से पुरे भारतीयों का कोई नेता नहीं होगा और आन्दोलन ठंडा पद जायेगा, और
उन्होंने ऐसा ही किया परन्तु इसके बावजूद भी भारत के लोग लड़ते रहे और अंग्रेजो ने भारत को भारत की जनता को सौपने का इरादा बनाने लगी. गाँधी जी ने इसके बाद आन्दोलन को वापस ले लिया और जेल से हजारों कैदियों को रिहा कर दिया गया.
नमक सत्याग्रह आंदोलन – दांडी मार्च (1930) Salt Satyagraha Movement – Dandi march
दांडी सत्याग्रह की शुरुआत दांडी मार्च से 1930 में हुई थी। नमक पर अंग्रेजो द्वारा बनाये गए कानून के विरोध में गाँधी जी ने दांडी से रोजाना १० किलोमीटर चल कर २४ दिनों में साबरमती से दांडी के लिए अपने करीब ७० से ८० अनुयायी को लेकर चल पड़े. जिसमे सरोजिनी नायडू भी अग्रसर थी. यहाँ जाकर हाथ में नमक उठाकर नमक पर लगे कर और कानून का विरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद भारत समुद्री किनारों पर नमक बनाया जाने लगा.
इस तरह से यह सभी आन्दोलन अंग्रेजो के दमन में आखिरी किल साबित हुयी.
गाँधी जी द्वारा लिए गए अनसन List of fasts undertaken by महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi
- पहली बार जुलाई 1913 के लगभग साऊथ अफ्रीका में हुए आन्दोलन में 7 दिनों का अनसन किये थे.
- दूसरी बार 1918 में गुजरात के अहमदाबाद में ३ दिनों के लिए मिल मजदूरो के लिए अनसन पर बैठे थे.
- सन 1922 में बारडोली के चौरी चोरा ओंदोलन में 5 दिनों के लिए अन्न त्याग दिए थे.
- वर्ष 1924 में 21 दिनों का दिल्ली में हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए अनसन किये थे.
- वर्ष 1933 में हरिजनोके अधिकार के लिए करीब 21 दिन का अनसन किये थे.
- वर्ष 1943 में अंग्रेजो के खिलाफ 21 दिनों का अनसन किये थे.
- सन 1948 6 दिनों के लिए आजदी के बाद देश में जगह जगह हो रहे हिन्दू मुस्लिम दंगे को रोकने के लिए अनसन किये थे.
ऐसे और भी अनसन है जिसकी गणना कर मुश्किल है.
हर आंदोलन की सफलता को देखकर अंग्रेजों को सोचने पर भी मजबूर कर दिया था। अंग्रेजों को अहिंसा आंदोलन का सामना करना मुश्किल लगने लगा । इससे ज्यादा आसान उन्हें हिसंक आंदोलन का सामना करना लगने लगा था। अंग्रेजों की सरकार अपना शासन खोती हुई देख पा रही थी। ऐसा पहली बार हुआ था जब पूरा देश आजादी के लिए एकसाथ लड़ रहा था वो भी अहिंसा के बल पर। और देश की आजादी के आंदोलन में महिलाएं भी शामिल हुई थी।
जिससे महिलाओं को खुद के लिए भी आजादी मिली थी। महात्मा गांधी ही थे वो इंसान जिसने पूरे देश को आजाद करवाने का सोचा और आंदोलन शुरु किए। उन्होंने पूरे देश को बताया की हर लड़ाई के लिए खून खराबा से पूरी नहीं होती है। लड़ाई अहिंसा का रास्ता अपनाकर भी की दा सकती है। चाहे वो देश को आजाद करवाने की लड़ाई ही क्यों न हो।
नाम | मोहनदास करमचंद गांधी – महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi |
पिता का नाम | करमचंद गांधी |
माता का नाम | पुतलीबाई |
जन्म दिनांक | 2 अक्टूबर, 1869 |
जन्म स्थान | गुजरात के पोरबंदर क्षेत्र में |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | बैरिस्टर |
पत्नि | कस्तूरबाई माखंजी कपाड़िया [कस्तूरबा गांधी] |
संतान | 4 पुत्र -: हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास |
मृत्यु | 30 जनवरी 1948 |
महात्मा गाँधी Mahatma Gandhiमहात्मा गांधी के 10 विचार (Mahatma Gandhi Quotes in hindi)
1. ”ऐसे जिएं जैसे कि आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है.”
2. ”डर शरीर की बीमारी नहीं है, यह आत्मा को मारता है” : https://www.britannica.com/biography/Mahatma-Gandhi
3. विश्वास करना एक गुण है, और अविश्वास करना दुर्बलता की जननी है”
4. ”जो समय बचाते हैं वे धन बचाते हैं और बचाया धन कमाए हुए धन के समान महत्वपूर्ण है.”
5. ”आंख के बदले आंख ले लेने से यह पूरे विश्वा को अंधा बना देगी.”
6. ”आजादी का कोई मतलब नहीं, यदि इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो”
7. प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है जिसे आप दूसरों पर छिड़कते हैं तो कुछ बूंदे आप पर भी पड़ती हैं”
8. ”पहले वह आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर आप पर हंसेंगे, फिर आपसे लड़ेंगे और तब आप जीत जाएंगे”
9. ”व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं उसके चरित्र से होती है”
10. आप जो भी करते हैं वह कम महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें”
महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi से जुड़े १० प्रश्न, क्लिक करें और देखें आप कितना जानते हो महात्मा गाँधी Mahatma Gandhi जी को- Click Here