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namaste sada vatsale matribhume lyrics
संघ की प्रार्थना Rss prayer – Namaste sada vatsale
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम्।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥ १॥
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयम्
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्॥ २॥
समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम्।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥ ३॥
॥ भारत माता की जय ॥
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हिंदी काव्यानुवाद
हे परम वत्सला मातृभूमि! तुझको प्रणाम शत कोटि बार।
हे महा मंगला पुण्यभूमि ! तुझ पर न्योछावर तन हजार॥
हे हिन्दुभूमि भारत! तूने, सब सुख दे मुझको बड़ा किया;
तेरा ऋण इतना है कि चुका, सकता न जन्म ले एक बार।
हे सर्व शक्तिमय परमेश्वर! हम हिंदुराष्ट्र के सभी घटक,
तुझको सादर श्रद्धा समेत, कर रहे कोटिशः नमस्कार॥
तेरा ही है यह कार्य हम सभी, जिस निमित्त कटिबद्ध हुए;
वह पूर्ण हो सके ऐसा दे, हम सबको शुभ आशीर्वाद।
namaste sada vatsale matribhume lyrics in english
Namaste Sadaa Vatsale Matru Bhoome
Twayaa Hindu Bhoome Sukham Vardhitoham
Mahaa Mangale Punya Bhoome Twadarthe
Patatwesha Kaayo Namaste Namaste||
Prabho Shaktiman Hindu Raastraanga Bhoota
Ime Saadaram Twaam Namaamo Vayam
Twadeeyaaya Kaaryaaya Baddhaa Kateeeyam
Shubhaam Aashisham Dehi Tatpoortaye ||
Ajyaan Cha Vishwasya Deheesha Shaktim
Susheelam Jagadyena Namram Bhaveth
Shrutam Chaiva Yat Kantakaa Keerna Maargam
Swayam Sweekritham Na Sukham Kaarayet ||
Samutkarsha Nishreyasasyaika Mugram
Param Saadhanam Naama Veeravratam
Tadantah Sphuratwakshayaa Dheya Nishtaa
Hridantah Prajaa Gartuteevraanisham ||
Vijetri Chana Samhataa Kaarya Shaktir
Vidhaayaasya Dharmasya Samrakshanam
Param Vaibhavam Netum Etat Swaraashtram
Samrthaa Bhavatwaashishaa Tebhrusham ||
॥ Bharat Mata Ki Jai ॥
2020 तक, आरएसएस की प्रार्थना 80 वर्ष से अधिक पुरानी है। यह संघ प्रचार पहली बार यादव राव जोशी जी नामक एक प्रचारक ने 23 अप्रैल, 1940 को पुणे के शिक्षा मार्ग में गाया था।
आरएसएस की प्रार्थना का इतिहास- यह प्रार्थना मूल रूप से हिंदी और मराठी में लिखी गई थी। पूरे भारत में एक कविता होनी थी, ताकि कोई भी इसे बिना किसी हिचकिचाहट के गा सके। अतः समस्त भारत में संस्कृत की स्वीकृति के कारण इस प्रार्थना का संस्कृत में अनुवाद किया गया। इसका अनुवाद नरहरि नारायण भिडे ने किया और इसकी रचना यादव राव जोशी ने की। राष्ट्रीय सेवा समिति और हिंदू स्वयंसेवक संघ (आरएसएस का अंतर्राष्ट्रीय विंग) के लिए एक अलग प्रार्थना है।
संघ की प्रार्थना का अर्थ namaste sada vatsale matribhume lyrics – Sangh ki prarthana with meaning in hindi
हे वात्सल्यमयी मातृभूमि, तुम्हें सदा प्रणाम! इस मातृभूमि ने हमें अपने बच्चों की तरह स्नेह और ममता, प्यार दी है। इस हिन्दू भूमि पर सुखपूर्वक मैं बड़ा हुआ हूँ। यह भूमि महा मंगलमय और पुण्यभूमि है। इस भूमि की रक्षा के लिए मैं यह नश्वर शरीर मातृभूमि को अर्पण करते हुए इस भूमि को बार-बार शत शत प्रणाम करता हूँ।
हे सर्व शक्तिमान परमेश्वर, इस हिन्दू राष्ट्र के घटक के रूप में मैं तुमको सादर प्रणाम करता हूँ। आपके ही कार्य के लिए हम कटिबद्ध हुवे है। हमें इस कार्य को पूरा करने के लिए आशीर्वाद दे। हमें ऐसी अजेय शक्ति दीजिये कि सारे विश्व मे हमे कोई न जीत सकें और ऐसी नम्रता दें कि पूरा विश्व हमारी विनयशीलता के सामने नतमस्तक हो। यह रास्ता काटों से भरा है, इस कार्य को हमने स्वयँ स्वीकार किया है और इसे सुगम कर काँटों रहित करेंगे।
ऐसा उच्च आध्यात्मिक सुख और ऐसी महान समृद्धि को प्राप्त करने का एकमात्र श्रेष्ट साधन उग्र वीरव्रत की भावना हमारे अन्दर सदेव जलती रहे। तीव्र और अखंड ध्येय निष्ठा की भावना हमारे अंतःकरण में जलती रहे। आपकी असीम कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने में समर्थ हो।
Prarthana of RSS – rss prarthana lyrics – हिंदी में अर्थ
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे अर्थ namaste sada vatsale matribhume lyrics
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे,
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।
सरलार्थ
हे वात्सल्यमयी मातृभूमि, तुम्हें सदा प्रणाम! इस मातृभूमि ने हमें अपने बच्चों की तरह स्नेह और ममता दी है।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे,
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥ १॥
सरलार्थ
हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! इस हिन्दू भूमि पर सुखपूर्वक मैं बड़ा हुआ हूँ। यह भूमि महा मंगलमय और पुण्यभूमि है। इस भूमि की रक्षा के लिए मैं यह नश्वर शरीर मातृभूमि को अर्पण करते हुए इस भूमि को बार-बार प्रणाम करता हूँ।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता,
इमे सादरं त्वाम नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं,
शुभामाशिषम देहि तत्पूर्तये।
सरलार्थ
हे सर्व शक्तिमान परमेश्वर, इस हिन्दू राष्ट्र के घटक के रूप में मैं तुमको सादर प्रणाम करता हूँ। आपके ही कार्य के लिए हम कटिबद्ध हुवे है। हमें इस कार्य को पूरा करने किये आशीर्वाद दे।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम,
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्,
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं,
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्॥ २॥
सरलार्थ
हमें ऐसी अजेय शक्ति दीजिये कि सारे विश्व मे हमे कोई न जीत सकें और ऐसी नम्रता दें कि पूरा विश्व हमारी विनयशीलता के सामने नतमस्तक हो। यह रास्ता काटों से भरा है, इस कार्य को हमने स्वयँ स्वीकार किया है और इसे सुगम कर काँटों रहित करेंगे।
समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं,
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा,
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्।
सरलार्थ
ऐसा उच्च आध्यात्मिक सुख और ऐसी महान ऐहिक समृद्धि को प्राप्त करने का एकमात्र श्रेष्ट साधन उग्र वीरव्रत की भावना हमारे अन्दर सदेव जलती रहे। तीव्र और अखंड ध्येय निष्ठा की भावना हमारे अंतःकरण में जलती रहे।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्,
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं,
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥ ३॥
॥ भारत माता की जय॥
सरलार्थ
आपकी असीम कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने में समर्थ हो।
॥ भारत माता की जय॥
॥ भारत माता की जय॥ namaste sada vatsale matribhume lyrics
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूते’ namaste sada vatsale matribhume lyrics संघ की 75 वीं वर्षगांठ को याद किया। संघ प्रचार पहली बार सार्वजनिक रूप से आरएसएस प्रचारक यादव राव जोशी द्वारा 18 मई, 1940 को नागपुर में आयोजित संघ शिक्षा वार में गाया गया था। उसी अवधि के दौरान, पुणे में आयोजित एक अन्य संघ शिक्षा कार्यक्रम में, आरएसएस प्रचारक अनंत राव काले द्वारा गाया गया था।
यह प्रार्थना अंतिम पंक्ति ‘भारत माता की जय‘ को छोड़कर संस्कृत में है जो हिंदी में है। संघ के सभी कार्यक्रमों में यह प्रार्थना गाना अनिवार्य है। 1940 के दौरान डॉ. के बी हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर और आरएसएस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में संस्कृत के प्रोफेसर नरहरि नारायण भिड़े द्वारा प्रर्थाना लिखी गई थी। आरएसएस की गतिविधि इसके दैनिक शखा पर आधारित है।
प्रत्येक आरएसएस के संगठन में अंत में संघ प्रचार होगा। कोई भी शाख संघ प्रचार के बिना नहीं है।
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Bharat Mata ki jai……………….