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प्रतिभा देवीसिंह पाटिल Pratibha Patil
प्रतिभा देवीसिंह पाटिल Pratibha Patil
जन्म :१९ दिसम्बर १९३४
पिता :श्री नारायणराव पाटिल
जन्म स्थान: जलगाव महाराष्ट्र.
राष्ट्रपति पद की कालावधि: २५ जुलाई २००७ – २५ जुलाई २०१२
प्रतिभा देवीसिंह पाटिल Pratibha Patil भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति Indian President बनी थी
1 जून 2019 को भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल Pratibha Patil को विदेशियों को दिए जाने वाले मेक्सिको के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डेन मेक्सिकाना डेल एग्वेला एज्टेका’ (ऑर्डर ऑफ एज्टेक ईगल) से सम्मानित किया गया. प्रतिभा पाटिल वर्ष 2007 से 2012 तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहीं.प्रतिभा सिंह पाटिल भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनी थी.
यह पुरुस्कार मेक्सिको के राजदूत मेल्बा प्रिआ ने पुणे के एमसीसीआईए भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में पाटिल को प्रदान किया.प्रतिभा पाटिल यह पुरुस्कार पाने वाली भारत की दूसरी राष्टपति बनी.इससे पहले यह सम्मान राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन को दिया गया था.हलाकि अलग-अलग श्रेणी की बात करे तो यह सम्मान नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन, प्रसिद्ध कलाकार सतीश गुजराल, उद्योगपति रघुपत सिंघानिया को प्रदान किया गया है !
श्रीमती पाटिल का राजनीतिक जीवन – Indian Politics
श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने २७ वर्ष की अवस्था में १९६२ में राजनीतिक जीवन का प्रारंभ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के भूतपूर्व मुख्यमंत्री यशवंत राव चव्हाण की देखरेख में प्रारंभ किया। १९६२ से १९८५ तक वे पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य रहीं। इस दौरान वर्ष १९६७ से १९७२ तक वह महाराष्ट्र सरकार में राज्यमंत्री और वर्ष १९७२ से १९७८ तक कैबिनेट मंत्री रहीं उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। उन्होंने १९६७ से १९७२ तक सार्वजनिक स्वास्थ्य, निषेध, पर्यटन, आवास और संसदीय कार्य, महाराष्ट्र सरकार में उप मंत्री पद पर कार्य किया।
वे १९७२ से १९७४ तक महाराष्ट्र सरकार के समाज कल्याण विभाग, १९७४ से १९७५ तक सार्वजनिक स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग, १९७५-१९७६ तक पुनर्वास और सांस्कृतिक कार्य विभाग और १९७७ से १९७८ तक शिक्षा विभाग में कैबिनेट मंत्री के पद आसीन रहीं। लेकिन जब १९७९ में कांग्रेस पार्टी (Congress Party) महाराष्ट्र विधान सभा में विपक्ष में पहुँची तो प्रतिभा पाटिल लगभग एक वर्ष तक विपक्ष की नेता रहीं।
१९८२ से १९८५ तक फिर वे महाराष्ट्र सरकार में शहरी विकास और आवास तथा १९८३-१९८५ तक नागरिक आपूर्ति और समाज कल्याण के विभागों में कैबिनेट मंत्री रहीं। १९८५ में वे राज्यसभा पहुँची और १९८६ में राज्यसभा की उप सभापति बनी। १८ नवम्बर १९८६ से ५ नवम्बर १९८८ तक वे सभापति, राज्य सभा भी रहीं। वे १९८६ से ८८ के बीच लाभ समिति की अध्यक्षा और सदस्य, व्यापार सलाहकार समिति, राज्य सभा भी रहीं।
प्रतिभा देवीसिंह पाटिल Pratibha Patil प्रदेश कॉन्ग्रेस समिति महाराष्ट्र की अध्यक्षा (१९८८-१९९०), राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक एवं ऋण संस्थाओं की निदेशक, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ की शासी परिषद की सदस्य रही हैं। १९८९-१९९० में वे महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस की प्रमुख बनीं। उन्हें वर्ष १९९१ में दसवीं लोक सभा (संसद के निचले सदन) के लिए निर्वाचित किया गया और उन्होंने १९९१ में अध्यक्षा, सदन समिति, लोक सभा के रूप में भी कार्य किया। श्रीमती पाटिल को ८ नवम्बर २०४ को राजस्थान की राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने भारत के राष्ट्रपति पद पर निर्वाचन के लिए २२ जून २००७ को राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने महिलाओं के कल्याण के लिए कार्य किया और मुम्बई, दिल्ली में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास, ग्रामीण युवाओं के लाभ हेतु जलगांव में इंजीनियरिंग कॉलेज के अलावा श्रम साधना न्यास की स्थापना की। श्रीमती पाटिल ने महिला विकास महामण्डल, जलगांव में दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण विद्यालय और विमुक्त जमातियों तथा बंजारा जनजातियों के निर्धन बच्चों के लिए एक स्कूल की स्थापना की।
श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल Pratibha Patil ने अनेक यात्राएं की है और इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ सोशल वेलफेयर कॉन्फ्रेंस, नैरोबी और पोर्टे रीको में भाग लिया। उन्होंने १९८५ में इस सम्मेलन में शिष्टमण्डल के सदस्य के रूप में बुल्गारिया में, महिलाओं की स्थिति पर ऑस्ट्रिया के सम्मेलन में शिष्टमण्डल की अध्यक्ष के रूप में, लंदन में १९८८ के दौरान आयोजित राष्ट्रमण्डलीय अधिकारी सम्मेलन में, चीन के बीजिंग शहर में विश्व महिला सम्मेलन में भाग लिया।
श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल Pratibha Patil जी का योगदान – First lady president of India
श्रीमती पाटिल की विशेष रुचि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास और महिलाओं के कल्याण में है। श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने जलगांव जिले में महिला होम गार्ड का आयोजन किया और १९६२ में उनकी कमांडेंट थीं, वे राष्ट्रीय सहकारी शहरी बैंक और ऋण संस्थाओं की उपाध्यक्ष रहीं तथा बीस सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति, महाराष्ट्र की अध्यक्षा थीं। श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने अमरावती में दृष्टिहीनों के लिए एक औद्योगिक प्रशिक्षण विद्यालय, निर्धन और जरूरतमंद महिलाओं के लिए सिलाई कक्षाओं, पिछड़े वर्गों और अन्य पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए नर्सरी स्कूल खोल कर उल्लेखनीय योगदान दिया तथा किसान विज्ञान केन्द्र, अमरावती में किसानों को फसल उगाने की नई एवं वैज्ञानिक तकनीकें सिखाने, संगीत और कम्प्यूटर की कक्षाएं आयोजित की।
श्रीमती प्रतिभा पाटिल के योगदान और राजनितिक कार्यों को ध्यान में रख कर ही प्रतिभा देवीसिंह पाटिल Pratibha Patil भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनी थी
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