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जालियांवाला बाग हत्याकांड jallianwala bagh kand
जालियांवाला बाग हत्याकांड jallianwala bagh kand: जालियांवाला बाग हत्याकांड अंग्रेजो कि क्रूरता, अत्याचार, हैवानियत का परिचायक है, यह एक ऐसी घटना सुनकर ही दिल कांप जाता है, तो सोचो जब यह घटना आज से १०१ वर्ष पहले जब हुआ था तो कैसी दर्दनाक भरी होगी। आज जालियांवाला बाग हत्याकांड को 101 साल हो गए।
देश जालियांवाला बाग की 101वीं बरसी पर शहीदों को याद कर रहा है। साल 1919 में अमृतसर में हुए इस नरसंहार में हज़ारों लोग मारे गए थे लेकिन ब्रिटिश सरकार के आंकड़ें में सिर्फ 379 की हत्या दर्ज की गई। जलियांवाला बाग हत्याकांड ब्रिटिश भारत के इतिहास का काला अध्याय है। आज से 100 साल पहले 13 अप्रैल, 1919 को अंग्रेज़ अफसर जनरल डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में मौजूद निहत्थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दी थीं।
अंग्रेज़ अफसर जनरल डायर की हैवानियत : Reginald Dyer of animal ism
इस हत्याकांड में एक हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए थे, जबकि 1,500 से भी ज़्यादा घायल हुए थ।जिसमे बचचे , औरते, बुढे सब सामिल थे जिस दिन यह क्रूरतम घटना हुई, उस दिन बैसाखी थी। बैसाखी के पर्व पर पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी सैनिकों ने गोलियां चलाकर बूढ़ों, महिलाओं, पुरुषों और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था. इस गोलीकांड में कई लोग घायल भी हो गए थे. जलियांवाला बाग हत्याकांड ब्रिटिश इतिहास का वो बदनुमा पन्ना है जो अंग्रेजों के अत्याचारों को दर्शाता है.
एक बार फिर आजादी की लड़ाई की चिंगारी धधक उठना
the spark of freedom fight flare up
इस काले दिन की दास्तांइसी हत्याकांड के बाद ब्रिटिश हुकूमत के अंत की शुरुआत हुई। इसी के बाद देश को ऊधम सिंह जैसा क्रांतिकारी मिला और भगत सिंह के दिलों में समेत कई युवाओं में देशभक्ति की लहर दौड़ गई। जलियांवाला बाग हत्याकांड का भगत सिंह पर गहरा असर पड़ा था। बताया जाता है कि जब भगत सिंह को इस हत्याकांड की सूचना मिली तो वह अपने स्कूल से 19 किलोमीटर पैदल चलकर जलियांवाला बाग पहुंचे थे।
जालियांवाला बाग हत्याकांड jallianwala bagh kand
जनरल डायर रॉलेट एक्ट का बहुत बड़ा समर्थक था, और उसे इसका विरोध मंज़ूर नहीं था। उसकी मंशा थी कि इस हत्याकांड के बाद भारतीय डर जाएंगे, लेकिन इसके ठीक उलट ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पूरा देश एक साथ खड़ा हो गया। जनरल डायर पहले से ही जानता था कि बाग में लोग जमा होने वाले हैं. उसने मौका देखा और अपने सैनिकों को लेकर पहुंच गया. जिसके बाद डायर ने बिना किसी चेतावनी के सैनिकों को गोलियां चलाने का आदेश दिया और चीखते, भागते निहत्थे बच्चों, महिलाओं, बूढ़ों की भीड़ पर 10 से 15 मिनट में 1650 राउंड गोलियां चलवा दीं.
लोगो अपनी जान बचान के लिए इधर- उधर भागने लगे थे. यहां तक की लोग गोलियों से बचने के लिए बाग में मौजूद कुएं में भी कूद गए थे. बताया जाता है कि कुएं से कई लाशें निकाली गई थी. जिसमें बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, पुरुष शामिल थे. इसी के साथ कई लोगों की जान भगदड़ में कुचल जाने की वजह से चली गई थी.
जालियांवाला बाग हत्याकांड jallianwala bagh kand : जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में मार्शल लॉ लगा दिया गया। जब पंजाब में हुए हत्याकांड और उसके बाद लोगों पर ब्रिटिश सरकार के अत्याचार की खबर देश में फैली तो ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया। इस चीज ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी। जलियांवाला बाग हत्याकांड की महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने घोर निंदा की और अंग्रेजी हुकुमत का विरोध करते हुए अपनी ‘सर’ की उपाधि वापस लौटा दी थी। गांधीजी शुरू में किसी बड़े आंदोलन से हिचकिचा रहे थे लेकिन इस घटना के बाद उन्होंने बड़े पैमाने पर सत्याग्रह आंदोलन छेड़ा।
Udham Singh
21 वर्ष बाद ,13 मार्च,1940 को,एक क्रांतिकारी भारतीय ऊधम सिंह ने माइकल ओ डायर की गोली मारकर ह्त्या कर दी क्योंकि जलियांवाला हत्याकांड की घटना के समय वही पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर था। नरसंहार ने भारतीय लोगों में गुस्सा भर दिया जिसे दबाने के लिए सरकार को पुनः बर्बरता का सहारा लेना पड़ा। पंजाब के लोगों पर अत्याचार किये गए,उन्हें खुले पिंजड़ों में रखा गया और उन पर कोड़े बरसाए गए। अख़बारों पर प्रतिबन्ध लगा दिए गए और उनके संपादकों को या तो जेल में डाल दिया गया या फिर उन्हें निर्वासित कर दिया गया। एक आतंक का साम्राज्य ,जैसा कि 1857 के विद्रोह के दमन के दौरान पैदा हुआ था,चारों तरफ फैला हुआ था।
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