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500 संधि विग्रह हिंदी व्याकरण Sandhi Vigrah Hindi Vyakaran
List of Sandhi Vigrah Hindi Vyakaran
संधि (Seam)की परिभाषा – hindi grammar 12th class
संधि का सामान्य अर्थ है- मेल या समझौता। और विग्रह का अर्थ है अलग करना।
संधि विच्छेद- शब्द के मूल शब्दों को मूल रूप में अलग कर देना संधि विच्छेद है।
जैसे- हिम + आलय= हिमालय (यह संधि है),
अत्यधिक= अति + अधिक (यह संधि विच्छेद है)
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sandhi vigraha Hindi ke vyakaran | सन्धि तीन प्रकार की होती है
- स्वर सन्धि 2. व्यंजन सन्धि 3. विसर्ग सन्धि
1.स्वर सन्धि:
स्वर के साथ स्वर के मेल को स्वर सन्धि कहते हैं।
हिन्दी में स्वर ग्यारह होते हैं।
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ तथा व्यंजन प्रायः स्वर की सहायता से बोले जाते हैं।
जैसे ‘राम’ में ‘म’ में ‘अ’ स्वर निहित है। ‘राम+अवतार- में ‘म- का ‘अ- तथा अवतार के ‘अ’ स्वर का मिलन होकर सन्धि होगी।
स्वर सन्धि पाँच प्रकार की होती है-
- दीर्घ सन्धि
- गुण सन्धि
- वृद्धि सन्धि
- यण सन्धि
- अयादि सन्धि
संधि विग्रह व संधि के नाम: संधि विग्रह हिंदी व्याकरण Sandhi Vigrah Hindi Vyakaran | sandhi vigraha Hindi ke vyakaran
No. | शब्द | संधि विग्रह | संधि के नाम |
1 | स्वाधीन | स्व + आधीन | दीर्घ संधि |
2 | पुस्तकालय | प्रधान + अध्यापक | दीर्घ संधि |
3 | प्रधानाध्यापक | प्रधान + अध्यापक | दीर्घ संधि |
4 | स्वाध्याय | स्व + अध्याय | दीर्घ संधि |
5 | सर्वाधिक | सर्व + अधिक | दीर्घ संधि |
6 | योजनावधि | योजन + अवधि | दीर्घ संधि |
7 | विद्यालय | विद्या + आलय | दीर्घ संधि |
8 | अन्तकरण | अंत + करण | विसर्ग संधि |
9 | अंतर्गत | अंत : + गत | विसर्ग संधि |
10 | अंतर्ध्यान | अंत + ध्यान | विसर्ग संधि |
11 | अन्योक्ति | अन्य + उक्ति | गुण संधि |
12 | अनायास | अनु + आयास | व्यंजन संधि |
13 | अध्याय | अधि + आय | यण संधि |
14 | अध्यन | अधि + अयन | यण संधि |
15 | अधिकांश | अधिक + अंश | दीर्घ संधि |
16 | आकृष्ट | आकृष + त | व्यंजन संधि |
17 | अविष्कार | आवि : + कार | विसर्ग संधि |
18 | आत्मावलंबन | आत्मा + अवलम्बन | दीर्घ संधि |
19 | आध्यात्मिक | आधि + आत्मिक | यण संधि |
20 | अत्यधिक | अति + अधिक | यण संधि |
21 | अत्यावश्यक | अति + आवश्यक | यण संधि |
22 | इत्यादि | इति + आदि | गुण संधि |
23 | परोपकार | पर + उपकार | गुण संधि |
24 | चिरायु | चिर + आयु | दीर्घ स्वर संधि |
25 | तथास्तु | तथा + अस्तु | दीर्घ स्वर संधि |
26 | परमेश्वर | परम + ईश्वर | दीर्घ गुण संधि |
27 | महोदय | महा + उदय | दीर्घ गुण संधि |
28 | पदोन्नति | पद + उन्नति | दीर्घ गुण संधि |
29 | सर्वोच्च | सर्व + उच्च | दीर्घ गुण संधि |
30 | प्रत्येक | प्रति + एक | यण स्वर संधि |
31 | नागाधिराज | नाग + अधिराज | दीर्घ स्वर संधि |
32 | अनावृष्टि | अन + आवृष्टि | दीर्घ स्वर संधि |
33 | पीताम्बर | पोत + अम्बर | दीर्घ स्वर संधि |
34 | मतानुसार | मत + अनुसार | दीर्घ स्वर संधि |
35 | युगानुसार | युग + अनुसार | दीर्घ स्वर संधि |
36 | सत्याग्रही | सत्य + आग्रही | दीर्घ स्वर संधि |
37 | समांनातर | समान + अंतर | दीर्घ स्वर संधि |
38 | स्वाभिमानी | स्व + अभिमानी | दीर्घ स्वर संधि |
39 | गुरुत्वाकर्षण | गुरुत्व + आकर्षण | दीर्घ स्वर संधि |
40 | हिमांचल | हिम + अंचल | दीर्घ स्वर संधि |
41 | अखिलेश | अखिल + ईश | दीर्घ स्वर संधि |
42 | यथोचित | यथा + उचित | दीर्घ स्वर संधि |
43 | रहस्योद्घाटन | रहस्य + उद्घाटन | दीर्घ स्वर संधि |
44 | लोकोशक्ति | लोक + उक्ति | दीर्घ स्वर संधि |
45 | सर्वोत्तम | सर्व + उत्तम | दीर्घ स्वर संधि |
46 | अत्यधिक | अति + अधिक | यण स्वर संधि |
47 | अखिलेश्वर | अखि + ईश्वर | गुण स्वर संधि |
48 | स्वेच्छा | स्व + इच्छा | गुण स्वर संधि |
49 | मरणोंत्तर | मरण + उत्तर | गुण स्वर संधि |
50 | प्रत्यक्ष | प्रति + अक्ष | यण स्वर संधि |
51 | प्रत्याघात | प्रति + अघात | यण स्वर संधि |
52 | दोषारोपण | दोष + आरोपण | दीर्घ स्वर संधि |
53 | महत्वाकांक्षा | महत्व + आकांक्षा | दीर्घ स्वर संधि |
54 | भावुक | भौ + उक | अयादि संधि |
55 | भास्कर | भाः + कर | विसर्ग संधि |
56 | भानूदय | भानु + उदय | दीर्घ संधि |
57 | भिन्न | भू + न | व्यंजन संधि |
58 | भूर्जित | भू + उर्जित | दीर्घ संधि |
59 | भूदार | भू + उदार | दीर्घ संधि |
60 | भूषण | भूष + अन | व्यंजन संधि |
61 | मनस्पात | मन : + ताप | विसर्ग संधि |
62 | मनोहर | मन : + हर | विसर्ग संधि |
63 | मनोयोग | मन : + योग | विसर्ग संधि |
64 | मनोरथ | मन : + रथ | विसर्ग संधि |
65 | मनोविकार | मन : + विकार | विसर्ग संधि |
66 | राज्याभिषेक | राज्य + अभिषेख | दीर्घ स्वर संधि |
67 | स्वाधीनता | स्व + आधीनता | दीर्घ स्वर संधि |
68 | अंतर्गत | अंत + गत | विसर्ग संधि |
69 | सर्वोदय | सर्व + उदय | गुण स्वर संधि |
70 | अत्यधिक | अति + अधिक | स्वर संधि |
71 | निर्दोष | निः + दोष | विसर्ग संधि |
72 | दोषारोपण | दोष + आरोपण | दीर्घ स्वर संधि |
73 | निबुद्धि | नि : + बुद्धि | गुण स्वर संधि |
74 | अत्यंत | अति + अंत | यण स्वर संधि |
75 | निश्चय | नि : + चय | विसर्ग संधि |
76 | सारांश | सार + अंश | स्वर संधि |
77 | पवन | पो + अन | स्वर संधि |
78 | निर्जीव | नि : + जीव | विसर्ग संधि |
79 | निर्भय | नि : + भय | विसर्ग संधि |
80 | संसार | सम + सार | व्यंजन संधि |
81 | प्रत्यक्ष | प्रति + अक्ष | स्वर संधि |
82 | सम्बन्ध | सम + बंध | व्यंजन संधि |
83 | अन्याय | अन + न्याय | स्वर संधि |
84 | पुरुषोत्तम | पुरुष + उत्तम | स्वर संधि |
85 | रामायण | राम + आयन | स्वर संधि |
86 | निराश | निः + आश | विसर्ग संधि |
87 | दिगंबर | दिक् + अम्बर | व्यंजन संधि |
88 | रामायण | राम + अयन | स्वर संधि |
89 | अत्याचार | अति + आचार | स्वर संधि |
90 | सज्जन | सत + जन | |
91 | निष्कर्ष | निः + कर्ष | |
92 | देवासुर | देप + असुर | |
93 | हिमालय | हिम + आलय | |
94 | महात्मा | महा + आत्मा | |
95 | गिरीश | गिरी + ईश | |
96 | महेंद्र | महा + इंद्र | |
97 | महेश | महा + ईश | |
98 | नरेंद्र | नर + इंद्र | |
99 | स्वागत | सु + आगत | |
100 | देवर्षि | देव + ऋषि |
101 | महर्षि | महा + ऋषि |
102 | दिग्गज | दिक् + गज |
103 | दिगविजय | दिक् + विजय |
104 | अहंकार | अहम् + कार |
105 | वाड्मय | वाक् + मय |
106 | सद्वाणी | सत् + वाणी |
107 | जगदानंद | जगत् + आनंद |
108 | दुरूपयोग | दु : + उपयोग |
109 | निष्फल | निः + फल |
110 | निजल | निः + जल |
111 | दुर्घटना | दु : + घटना |
112 | विद्यालय | विद्या + आलय |
113 | विद्यार्थी | विद्या + अर्थी |
114 | सर्वोपरि | सर्व + अरि |
115 | अल्पावकाश | अल्प + अवकाश |
116 | संतोष | सम + तोष |
117 | सदिच्छा | सत् + इच्छा |
118 | दुष्परिणाम | दु : + परिणाम |
119 | निरंतर | निः + अंतर |
120 | निराशा | निः + आशा |
121 | सदैव | सदा + एव |
122 | ग्रंथालय | ग्रंथ + आलय |
123 | देवालय | देव + आलय |
124 | संपूर्ण | सम + पूर्ण |
125 | दुर्बल | दु : + बल |
126 | रामावतार | राम + अवतार |
127 | महोत्सव | महा + उत्सव |
128 | सदिच्छा | सत् + इछा |
129 | सत्याग्रह | सत्य + आग्रह |
130 | रामेश्वर | राम + ईश्वर |
131 | परमार्थ | परम + अर्थ |
132 | सतीश | सती + ईश |
133 | देवेंद्र | देव + इंद्र |
134 | महेंद्र | महा + इंद्र |
135 | चंद्रोदय | चंद्र + उदय |
136 | एकैक | एक + एक |
137 | जलौघ | जल + ओघ |
138 | यद्यपि | यदि + अपि |
139 | पित्राज्ञा | पितृ + आज्ञा |
140 | दुष्कर | दु : + कर |
141 | sandhi vigrah in hindi | List of Sandhi Vigrah Hindi Vyakaran |
142 | नेति | न + इति |
143 | भारतेन्दु | भारत + इन्दु |
144 | ए | अ + ई |
145 | नरेश | नर + ईश |
146 | सर्वेक्षण | सर्व + ईक्षण |
147 | गणेश | गण + ईश |
148 | प्रेक्षा | प्र + ईक्षा |
149 | ए | आ + इ |
150 | महेन्द्र | महा + इन्द्र |
151 | यथेच्छा | यथा +इच्छा |
152 | राजेन्द्र | राजा + इन्द्र |
153 | यथेष्ट | यथा + इष्ट |
154 | ए | आ + ई |
155 | राकेश | राका + ईश |
156 | द्वारकेश | द्वारका +ईश |
157 | रमेश | रमा + ईश |
158 | मिथिलेश | मिथिला + ईश |
159 | ओ ओ | अ + उ |
160 | परोपकार | पर+उपकार |
161 | सूर्योदय | सूर्य + उदय |
162 | प्रोज्ज्वल | प्र + उज्ज्वल |
163 | सोदाहरण | स + उदाहरण |
164 | अन्त्योदय | अन्त्य + उदय |
165 | ओ | अ + ऊ |
166 | जलोर्मि | ओ जल + ऊर्मि |
167 | नवोढ़ा | नव + ऊढ़ा |
168 | समुद्रोर्मि | समुद्र + ऊर्मि |
169 | जलोर्जा | जल + ऊर्जा |
170 | ओ ओ | आ + उ |
171 | महोदय | महा + उदय |
172 | यथोचित | यथा+उचित |
173 | शारदोपासक | शारदा + उपासक |
174 | महोत्सव | महा + उत्सव |
175 | ओ ओ | आ + ऊ |
176 | गंगोर्मि | गंगा + ऊर्मि |
177 | महोर्जा | महा + ऊर्जा |
178 | यमुनोर्मि | यमुना + ऊर्मि |
179 | महोरू | महा + ऊरू |
180 | अर् | अ + ऋ |
181 | देवर्षि | देव + ऋषि |
182 | शीतर्तु | शीत + ऋतु |
183 | सप्तर्षि | सप्त + ऋषि |
184 | उत्तमर्ण | उत्तम + ऋण |
185 | अर् | आ + ऋ |
186 | महर्षि | महा + ऋषि |
187 | एकैक | एक + एक |
188 | विश्वैकता | विश्व + एकता |
189 | ऐ | अ + ऐ |
190 | ज्ञानैश्वर्य | ज्ञान+ऐश्वर्य |
191 | स्वैच्छिक | स्व+ऐच्छिक |
192 | hindi grammar | Hindi ke vyakaran |
193 | मतैक्य | मत + ऐक्य |
194 | देवैश्वर्य | देव + ऐश्वर्य |
195 | ऐ | आ + ए |
196 | सदैव | सदा + एव |
197 | वसुधैव | वसुधा + एव |
198 | महैषणा | महा+एषणा |
199 | तथैव | तथा + एव |
200 | ऐ | आ + ऐ |
201 | महैश्वर्य | महा+ऐश्वर्य |
202 | गंगैश्वर्य | गंगा + ऐश्वर्य |
203 | औ | अ + ओ |
204 | दूधौदन | दूध + ओदन |
205 | जलौघ | जल + ओघ |
206 | परमौज | परम + ओज |
207 | घृतौदन | घृत + ओदन |
208 | औ | अ + औ |
209 | वनौषध | वन+औषध |
210 | तपौदार्य | तप+औदार्य |
211 | भावौचित्य | भाव + औचित्य |
212 | भावौदार्य | भाव + औदार्य |
213 | औ | आ + ओ |
214 | महौज | महा + ओज |
215 | गंगौघ | गंगा + ओघ |
216 | महौजस्वी | महा + ओजस्वी |
217 | औ | आ + औ |
218 | महौषध | महा+औषध |
219 | यथौचित्य | यथा+औचित्य |
220 | महौत्सुक्य | महा + औत्सुक्य |
221 | महौदार्य | महा + औदार्य |
222 | गत्यवरोध | गति + अवरोध |
223 | व्यवहार | वि + अवहार |
224 | यद्यपि | यदि + अपि |
225 | या | इ + आ |
226 | इत्यादि | इति + आदि |
227 | पर्यावरण | परि + आवरण |
228 | अभ्यागत | अभि + आगत |
229 | व्यायाम | वि + आयाम |
230 | पर्याप्त | परि + आप्त |
231 | यु | इ + उ |
232 | अभ्युदय | अभि + उदय |
233 | प्रत्युपकार | प्रति + उपकार |
234 | रव्युदय | रवि + उदय |
235 | उपर्युक्त | उपरि + उक्त |
236 | यू | इ + ऊ |
237 | न्यून | नि + ऊन |
238 | अध्यूढ़ा | अधि + ऊढ़ा |
239 | अध्येय | अधि + एय |
240 | जात्येकता | जाति + एकता |
241 | य | ई + अ |
242 | नद्यर्पण | नदी + अर्पण |
243 | मह्यर्चन | मही + अर्चन |
244 | नद्यन्त | नदी + अन्त |
245 | देव्यर्पण | देवी + अर्पण |
246 | या | ई + आ |
247 | मह्याधार | मही + आधार |
248 | देव्यागमन | देवी + आगमन |
249 | नद्यामुख | नदी + आमुख |
250 | यु | ई + उ |
251 | वाण्युचित | वाणी + उचित |
252 | नद्युत्पन्न | नदी + उत्पन्न |
253 | विच्छेद | |
254 | देव्युपासना | देवी + उपासना |
255 | वाण्युपयोगी | वाणी + उपयोगी |
256 | व | उ + अ |
257 | अन्वय | अनु + अय |
258 | मध्वरि | मधु + अरि |
259 | विच्छेद | |
260 | तन्वंगी | तनु + अंगी |
261 | स्वल्प | सु + अल्प |
262 | वा | उ + आ |
263 | गुर्वाज्ञा | गुरु + आज्ञा |
264 | भान्वागमन | भानु + आगमन |
265 | वी | उ + ई |
266 | अन्वीक्षण | अनु + ईक्षण |
267 | अन्वीक्षा | अनु + ईक्षा |
268 | वे | उ + ए |
269 | अन्वेषण | अनु + एषण |
270 | अन्वेषी | अनु + एषी |
271 | वा | ऊ + आ |
272 | वध्वागमन | वधू + आगमन |
273 | भ्वादि | भू + आदि |
274 | र | ऋ + अ |
275 | मात्रनुमति | मातृ + अनुमति |
276 | रा | ऋ + आ |
277 | पित्राज्ञा | पितृ + आज्ञा |
278 | रि | ऋ + इ |
279 | मात्रिच्छा | मातृ + इच्छा |
280 | रु | ऋ + उ |
281 | पित्रुपदेश | पितृ + उपदेश |
282 | अजादि | अच् + आदि |
283 | ट् के स्थान पर ड् | |
284 | षडानन | के षट् + आनन |
285 | षड्यन्त्र | षट् + यन्त्र |
286 | षट् + दर्शन | षड्दर्शन |
287 | षट् + विकार | षड्विकार |
288 | षट् + अंग | षडंग |
289 | त् का द् | |
290 | सदाचार | सत् + आचार |
291 | उद्यान | उत् + यान |
292 | तदुपरान्त | तत् + उपरान्त |
293 | सदाशय | सत् + आशय |
294 | तदनन्तर | तत् + अनन्तर |
295 | उद्घाटन | उत् + घाटन |
296 | जगदम्बा | जगत् + अम्बा |
297 | प् का ब् | |
298 | अब्द | अप् + द |
299 | अब्ज | अप् + ज |
300 | विच्छेद |
(i) दीर्घ सन्धि:
अ, इ, उ, लघु या ह्रस्व स्वर हैं और आ, ई, ऊ गुरु या दीर्घ स्वर। अतः अ या आ के साथ अ या आ के मेल से ‘आ’; ‘इ’ या ‘ई’ के साथ ‘इ’ या ई के मेल से ‘ई’ तथा उ या ऊ के साथ उ या ऊ के मेल से ‘ऊ’ बनता है।
जैसे:
अ+अ – आ
नयन + अभिराम = नयनाभिराम
चरण + अमृत = चरणामृत
परम + अर्थ = परमार्थ
स + अवधान = सावधान
संधि विच्छेद
रामानुज = राम + अनुज गीतांजलि = गीत + अंजलि
सूर्यास्त = सूर्य + अस्त मुरारि = मुर + अरि
अ + आ = आ
देव + आलय = देवालय सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
रत्न + आकर = रत्नाकर कुश + आसन = कुशासन
संधि विच्छेद
छात्रावास = छात्र + आवास देवानन्द = देव + आनन्द
दीपाधार = दीप + आधार प्रारम्भ = प्र + आरम्भ
आ + अ = आ
सेना + अध्यक्ष = सेनाध्यक्ष विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
तथा + अपि = तथापि युवा + अवस्था= युवावस्था
संधि विच्छेद
कक्षाध्यापक = कक्षा + अध्यापक श्रद्धांजलि = श्रद्धा +
अंजलि
सभाध्यक्ष = सभा + अध्यक्ष द्वारकाधीश = द्वारका +
अधीश
आ + आ = आ
विद्या + आलय = विद्यालय महा + आशय = महाशय
प्रतीक्षा+आलय = प्रतीक्षालय श्रद्धा + आलु = श्रद्धालु
संधि विच्छेद
चिकित्सालय = चिकित्सा + आलय
कृपाकांक्षी = कृपा + आकांक्षी
मायाचरण = माया + आचरण
दयानन्द = दया + आनन्द
इ + इ = ई
रवि + इन्द्र = रवीन्द्र अभि + इष्ट = अभीष्ट
संधि विच्छेद
गिरीन्द्र = गिरि + इन्द्र अधीन = अधि + इन
इ + ई = ई
हरि + ईश = हरीश परि + ईक्षा = परीक्षा
संधि विच्छेद
अभीप्सा = अभि + ईप्सा अधीक्षक = अधि + ईक्षक
ई + इ = ई
मही + इन्द्र = महीन्द्र लक्ष्मी + इच्छा = लक्ष्मीच्छा
संधि विच्छेद
फणीन्द्र = फणी + इन्द्र श्रीन्दु = श्री +
इन्दु
ई + ई = ई
नारी + ईश्वर = नारीश्वर जानकी + ईश = जानकीश
संधि विच्छेद
रजनीश = रजनी + ईश नदीश = नदी + ईश
उ + उ = ऊ
भानु + उदय = भानूदय गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
संधि विच्छेद
लघूत्तर = लघु + उत्तर कटूक्ति = कटु + उक्ति
ऊ + ऊ = ऊ
भू + ऊध्र्व = भूध्र्व
भू + ऊष्मा = भूष्मा
संधि विच्छेद
चमूर्जा = चमू + ऊर्जा
सरयूर्मि = सरयू + ऊर्मि
(ii)गुण सन्धि:
अ या आ के साथ इ या ई के मेल से ‘ए’ ( Ú ), अ या आ के साथ उ या ऊ के मेल से ‘ओ’ ( ो ) तथा अ या आ के साथ ऋ के मेल से ‘अर’ बनता है
अ + इ = ए
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
स्व + इच्छा = स्वेच्छा
संधि विच्छेद
राजर्षि = राजा + ऋषि
( पपप) वृद्धि सन्धि: अ या आ के साथ ‘ए’ या ‘ऐ’ के मेल से ‘ऐ’ ( ै ) तथा अ या
आ के साथ ‘ओ’ या ‘औ’ के मेल से ‘औ’ ( ौ ) बनता है।
अ + ए = ऐ
मत + एकता = मतैकता
धन + एषणा = धनैषणा
(iv) यण सन्धि:
इ या ई के साथ इनके अतिरिक्त अन्य किसी स्वर के मेल पर इ या ई के स्थान पर ‘य्’ उ या ऊ के साथ इनके अतिरिक्त अन्य स्वर के मेल पर उ या ऊ के स्थान पर ‘व्’ तथा ‘ऋ’ के साथ अन्य किसी स्वर के मेल पर ‘र्’ बन जायेगा तथा मिलने वाले स्वर की मात्रा य्, व्, ‘र्’ में लग जायेगी।
अति + अधिक = अत्यधिक
सु + आगत = स्वागत
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
इसमें विच्छेद करते समय य, व तथा ‘र’ के पूर्व आये हलन्त वर्ण में क्रमशः इ, ई; उ ऊ तथा ऋ की मात्रा लगा देंगे तथा य, व, र में जो स्वर है उस स्वर के प्रारम्भ से पिछला शब्द लिख देंगे
अत्याचार = अति + आचार
अन्वीक्षण = अनु + ईक्षण
मात्रनुमति = मातृ + अनुमति
अभ्यासार्थ
अन्य उदाहरण देखिए-
इ + अ = य
अति + अल्प = अत्यल्प
अधि + अक्ष = अध्यक्ष
नोट: त् + र के मेल से ‘त्र’ बनता है।
(iv) अयादि सन्धि
ए, ऐ, ओ, औ के साथ अन्य किसी स्वर के मेल पर ‘ए’ के स्थान पर ‘अय्’; ‘ऐ’ के स्थान
पर ‘आय्’; ओ के स्थान पर ‘अव्’ तथा ‘औ’ के स्थान पर ‘आव्’ बन जाता है तथा मिलने वाले
स्वर की मात्रा य् तथा ‘व्’ में लग जाती है। जैसे –
ने + अन = नयन, गै + अक = गायक
पो + अन = पवन, पौ + अक = पावक
सन्धि विच्छेद करते समय ध्यान रखना है कि यदि ‘य’ के पहले वाले वर्ण में ‘अ’ का स्वर
हो तो उसमें ‘ए’ की मात्रा, आ का स्वर हो तो ‘ऐ’ की मात्रा तथा ‘व’ के पहले वाले वर्ण में
‘अ’ का स्वर हो तो ‘ओ’ की मात्रा तथा ‘आ’ का स्वर हो तो ‘औ’ की मात्रा लगा दें तथा ‘य’
एवं व में जो स्वर है, उससे अगला शब्द बनालें।
यथा –
विलय = विले + अ, विनायक = विनै + अक
पवित्र = पो + इत्र, भावुक = भौ + उक
ए + अ = अय
विने + अ = विनय
चे + अन = चयन
ऐ + अ = आय
नै + अक = नायक
विधै + इका= विधायिका
गै + इका = गायिका
ओ + अ = अव भो + अन = भवन
ओ + इ = अवि हो + इष्य = हविष्य
ओ + ए = अवे गो + एषणा = गवेषणा
औ + अ = आव पौ + अन = पावन
औ + इ = आवि नौ + इक = नाविक
औ + उ = आवु भौ + उक = भावुक
2.व्यंजन सन्धि
गुण संधि के उदाहरण
व्यंजन संधि के नियम
व्यंजन सन्धि में व्यंजन के साथ स्वर या व्यंजन का मेल तथा स्वर के साथ व्यंजन का मेल होता है।
जैसे दिक् + अम्बर=दिगम्बर, सत्+जन=सज्जन, अभि+सेक = अभिषेक।
व्यंजन सन्धि के कतिपय नियम
क्, च्, ट्, त्, प्, के साथ किसी भी स्वर तथा किसी भी वर्ग के तीसरे व चैथे वर्ण (ग, घ, ज, झ, ड, ढ़, द, ध, ब, भ) तथा य, र, ल, व, ह में से किसी भी वर्ण के मेल पर ‘क्’ के स्थान पर ग्, च् के स्थान पर ज्, ट् के स्थान पर ड्, त् के स्थान पर द् तथा प् के स्थान पर ब् बन जायेगा तथा यदि स्वर मिलता है तो स्वर की मात्रा हलन्त वर्ण में लग जायेगी किन्तु व्यंजन के मेल पर वे हलन्त ही रहेंगे।
क् के स्थान पर ग्
दिक् + अम्बर = दिगम्बर
वाक् + ईश = वागीश
दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन
वणिक् + वर्ग = वणिग्वर्ग
विच्छेद
प्रागैतिहासिक = प्राक् + ऐतिहासिक
दिग्विजय = दिक् + विजय
च् के स्थान पर ज् = अच् + अन्त = अजन्त
(ii)क्, च्, ट्, त्, प् के साथ किसी भी नासिक वर्ण (ङ,
ञ, ज, ण, न, म) के मेल
पर क् के स्थान पर ङ्, च् के स्थान पर ज्, ट् के स्थान पर ण्,
त् के स्थान पर न्
तथा प्
के स्थान पर म् बन जायेंगे। यथा
क् का ङ्
वाक् + मय = वाङ्मय
दिक् + नाग = दिङ्नाग
(iii) म् के साथ क से म तक के किसी भी वर्ण के मेल पर ‘म्’ के स्थान पर मिलने वाले वर्ण का अन्तिम नासिक वर्ण बन जायेगा। आजकल नासिक वर्ण के स्थान पर अनुस्वार (-) भी मान्य हो गया है।
म् + क ख ग घ ङ
सम् + कल्प = संकल्प/सटड्ढन्ल्प
सम् + ख्या = संख्या
सम् + गम = संगम
सम् + घर्ष = संघर्ष
(iv) म् के साथ य, र, ल, व, श, ष, स, ह में से किसी भी वर्ण के
मेल पर ‘म्’
के
स्थान पर अनुस्वार ही लगेगा।
सम् + योग = संयोग
सम् + रचना = संरचना
सम् + लग्न = संलग्न
सम् + वत् = संवत्
सम् + शय = संशय
सम् + हार = संहार
विच्छेद
संयोजना = सम् + योजना
संविधान = सम् + विधान
संसर्ग = सम् + सर्ग
संश्लेषण = सम् + श्लेषण
(v) त् या द् के साथ च या छ के मेल पर
त् या द् के स्थान पर च् बन जायेगा।
उत् + चारण = उच्चारण
शरत् + चन्द्र = शरच्चन्द्र
उत् + छिन्न = उच्छिन्न
विच्छेद
वृहच्चयन = वृहत् + चयन
उच्छेद = उत् + छेद
विद्युच्छटा = विद्युत् + छटा
(vi) त् या द् के साथ ज या झ के मेल पर
त् या द् के स्थान पर ज् बन जायेगा
–
सत् + जन = सज्जन
जगत् + जीवन = जगज्जीवन
वृहत् + झंकार = वृहज्झंकार
विच्छेद
उज्ज्वल = उत् + ज्वल
यावज्जीवन = यावत् + जीवन
महज्झंकार = महत् + झंकार
(vii) त् या द् के साथ ट या ठ के मेल पर
त् या द् के स्थान पर ट् बन जायेगा ।
तत् + टीका = तट्टीका
वृहत् + टीका = वृहट्टीका
(अपपप) त् या द् के साथ ‘ड’ या ढ के मेल पर त् या द् के स्थान
पर ‘ड्’
बन जायेगा
उत् + डयन = उड्डयन
भवत् + डमरू = भवड्डमरू
(viii) त् या द् के साथ ल के मेल पर त् या द् के स्थान पर ‘ल्’ बन जायेगा।
उत् + लास = उल्लास
तत् + लीन = तल्लीन
विद्युत् + लेखा = विद्युल्लेखा
विच्छेद
उल्लंघन = उत् + लंघन
भगवल्लीन = भगवत् + लीन
उल्लेख = उत् + लेख
(ix) त् या द् के साथ ‘ह’ के मेल पर त् या द् के स्थान पर द् तथा ह के स्थान पर
ध बन जाता है जैसे
उत् + हार = उद्धार/उद्धार
उत् + हृत = उद्धृत/उद्धृत
पद् + हति = पद्धति
विच्छेद
तद्धित = तत् + हित
उद्धरण = उत् + हरण
(x) ‘त् या द्’ के साथ ‘श’ के मेल पर त् या द् के स्थान पर ‘च्’ तथा ‘श’ के स्थान
पर ‘छ’ बन जाता है
उत् + श्वास = उच्छ्वास
उत् + शृंखल = उच्छृंखल
शरत् + शशि = शरच्छशि
विच्छेद
उच्छिष्ट = उत् + शिष्ट
सच्छास्त्र = सत् + शास्त्र
(xi) किसी भी स्वर के साथ ‘छ’ के मेल पर स्वर तथा ‘छ’ के बीच ‘च्’ का आगमन
हो जाता है
आ + छादन = आच्छादन
अनु + छेद = अनुच्छेद
शाला + छादन = शालाच्छादन
स्व + छन्द = स्वच्छन्द
विच्छेद
परिच्छेद = परि + छेद
विच्छेद = वि + छेद
तरुच्छाया = तरु + छाया
एकच्छत्र = एक + छत्र
(xii) अ या आ के अतिरिक्त अन्य किसी स्वर के साथ ‘स’ के मेल पर ‘स’ के स्थान
पर ‘ष’ बन जायेगा।
वि + सम = विषम
अभि + सिक्त = अभिषिक्त
अनु + संग = अनुषंग
विच्छेद
अभिषेक = अभि + सेक
सुषुप्त = सु + सुप्त
निषेध = नि + सेध
विषाद = वि + साद
अपवाद
वि + सर्ग = विसर्ग
अनु + सार = अनुसार
वि + सर्जन = विसर्जन
वि + स्मरण = विस्मरण
(xiii) यदि किसी शब्द में कही भी ऋ, र या ष हो एवं उसके साथ मिलने वाले
शब्द
में कहीं भी ‘न’ हो तथा उन दोनों के बीच कोई भी स्वर,
क, ख ग, घ, प, फ, ब, भ, म, य,
र, ल, व में से कोई भी वर्ण हो तो सन्धि होने पर ‘न’ के स्थान पर ‘ण’ हो जायेगा।
राम + अयन = रामायण
परि + नाम = परिणाम
नार + अयन = नारायण
विच्छेद
प्रसारण = प्रसार + न
उत्तरायण = उत्तर + अयन
मृण्मय = मृत् + मय
क्रीड़ांगण = क्रीड़ा + अंगन
(गअ) द् के साथ क, ख, त, थ, प, फ, श, ष, स, ह के मेल पर द् के स्थान पर त्
बन जाता है
संसद् + सदस्य = संसत्सदस्य
तद् + पर = तत्पर
सद् + कार = सत्कार
3. विसर्ग सन्धि
व्यंजन संधि के नियम
संधि की परिभाषा
विसर्ग (ः) के साथ स्वर या व्यंजन के मेल पर विसर्ग सन्धि
होती है। यथा
निः + अक्षर = निरक्षर
दुः + आत्मा = दुरात्मा
निः + पाप = निष्पाप
(i) विसर्ग के साथ च या छ के मेल पर
विसर्ग के स्थान पर ‘श्’ बन
जाता है
निः + चय = निश्चय
दुः + चरित्र = दुश्चरित्र
ज्योतिः + चक्र = ज्योतिश्चक्र
निः + छल = निश्छल
विच्छेद
तपश्चर्या = तपः + चर्या
अन्तश्चेतना = अन्तः + चेतना
हरिश्चन्द्र = हरिः + चन्द्र
अन्तश्चक्षु = अन्तः + चक्षु
(ii)विसर्ग के साथ ‘श’ के मेल पर विसर्ग के स्थान
पर भी ‘श्’बन जाता है।
दुः + शासन = दुश्शासन
यशः + शरीर = यशश्शरीर
निः + शुल्क = निश्शुल्क
विच्छेद
निश्श्वास = निः + श्वास
चतुश्श्लोकी = चतुः + श्लोकी
निश्शंक = निः + शंक
(iii) विसर्ग के साथ ट, ठ या ष के मेल पर विसर्ग
के स्थान पर ‘ष्’ बन
जाता है
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
चतुः + टीका = चतुष्टीका
चतुः + षष्टि = चतुष्षष्टि
(iv) यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में अ या आ के अतिरिक्त अन्य कोई स्वर हो तथा विसर्ग के साथ मिलने वाले शब्द का प्रथम वर्ण क, ख, प, फ में से कोई भी हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘ष्’ बन जायेगा।
निः + कलंक = निष्कलंक
दुः + कर = दुष्कर
आविः + कार = आविष्कार
चतुः + पथ = चतुष्पथ
निः + फल = निष्फल
विच्छेद
निष्काम = निः + काम
निष्प्रयोजन = निः + प्रयोजन
बहिष्कार = बहिः + कार
निष्कपट = निः + कपट
ज्योतिष्कण = ज्योतिः + कण
(v) यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में अ या आ का स्वर हो तथा विसर्ग के बाद क, ख, प, फ हो तो सन्धि होने पर विसर्ग भी ज्यों का त्यों बना रहेगा यथा
अधः + पतन = अध: पतन
प्रातः + काल = प्रात: काल
अन्त: + पुर = अन्त: पुर
वय: क्रम = वय: क्रम
विच्छेद
रज: कण = रज: + कण
तप: पूत = तप: + पूत
पय: पान = पय: + पान
अन्त: करण = अन्त: + करण
अपवाद
भा: + कर = भास्कर
नम: + कार = नमस्कार
पुर: + कार = पुरस्कार
श्रेय: + कर = श्रेयस्कर
बृह: + पति = बृहस्पति
पुर: + कृत = पुरस्कृत
तिर: + कार = तिरस्कार
(vi) विसर्ग के साथ त या थ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘स्’ बन जायेगा।
अन्त: + तल = अन्तस्तल
नि: + ताप = निस्ताप
दु: + तर = दुस्तर
नि: + तारण = निस्तारण
विच्छेद
निस्तेज = निः + तेज
नमस्ते = नम: + ते
मनस्ताप = मन: + ताप
बहिस्थल = बहि: + थल
(vii) विसर्ग के साथ ‘स’ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘स्’ बन जाता है।
नि: + सन्देह = निस्सन्देह
दु: + साहस = दुस्साहस
नि: + स्वार्थ = निस्स्वार्थ
दु: + स्वप्न = दुस्स्वप्न
विच्छेद
निस्संतान = नि: + संतान
दुस्साध्य = दु: + साध्य
मनस्संताप = मन: + संताप
पुनस्स्मरण = पुन: + स्मरण
(viii) यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में ‘इ’ व ‘उ’ का स्वर हो तथा विसर्ग के बाद ‘र’
हो तो सन्धि होने पर विसर्ग का तो लोप हो जायेगा साथ
ही ‘इ’
व ‘उ’ की मात्रा ‘ई’ व ‘ऊ’
की हो जायेगी।
नि: + रस = नीरस
नि: + रव = नीरव
नि: + रोग = नीरोग
दु: + राज = दूराज
विच्छेद
नीरज = नि: + रज
नीरन्द्र = नि: + रन्द्र
चक्षूरोग = चक्षु: + रोग
दूरम्य = दु: + रम्य
(ix) विसर्ग के पहले वाले वर्ण में ‘अ’ का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ के
अतिरिक्त
अन्य किसी स्वर के मेल पर विसर्ग का लोप हो जायेगा तथा
अन्य कोई परिवर्तन नहीं होगा।
अत: + एव = अतएव
मन: + उच्छेद = मनउच्छेद
पय: + आदि = पयआदि
तत: + एव = ततएव
(x) विसर्ग के पहले वाले वर्ण में ‘अ’ का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ,
ग, घ, ड॰,
´, झ, ज, ड, ढ़, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व, ह में से किसी भी वर्ण के मेल पर
विसर्ग के स्थान पर ‘ओ’ बन जायेगा।
मन: + अभिलाषा = मनोभिलाषा
सर: + ज = सरोज
वय: + वृद्ध = वयोवृद्ध
यश: + धरा = यशोधरा
मन: + योग = मनोयोग
अध: + भाग = अधोभाग
तप: + बल = तपोबल
मन: + रंजन = मनोरंजन
विच्छेद
मनोनुकूल = मन: + अनुकूल
मनोहर = मन: + हर
तपोभूमि = तप: + भूमि
पुरोहित = पुर: + हित
यशोदा = यश: + दा
अधोवस्त्र = अध: + वस्त्र
अपवाद
पुन: + अवलोकन = पुनरवलोकन
पुन: + ईक्षण = पुनरीक्षण
पुन: + उद्धार = पुनरुद्धार
पुन: + निर्माण = पुनर्निर्माण
अन्त: + द्वन्द्व = अन्तद्र्वन्द्व
अन्त: + देशीय = अन्तर्देशीय
अन्त: + यामी = अन्तर्यामी
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समास व उसके प्रकार हिंदी व्याकरण Samas aur Samas ke prakar Hindi Vyakaran
वाक्य के भेद Vakya ke Bhed Types of Sentence in hindi
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