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छत्रपति शिवाजी महाराज Chhatrapati Shivaji Maharaj
शिवाजी महाराज का बचपन Childhood of Shivaji Maharaj
छत्रपति शिवाजी महाराज Chhatrapati Shivaji Maharaj को कौन नहीं जानता। वर्ष 1674 में उन्होंने ही पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। उन्होंने कई सालों तक औरंगजेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया और मुगल सेना को धूल चटाई। शिवाजी महाराज की जयंती के दिन पूरा देश उन्हें याद करेगा। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था।
शिवाजी महाराज की मुगलों से पहली मुठभेड़ वर्ष 1656-57 में हुई थी। बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह की मृत्यु के बाद वहां अराजकता का माहौल पैदा हो गया था, जिसका लाभ उठाते हुए मुगल बादशाह औरंगजेब ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया। उधर, शिवाजी ने भी जुन्नार नगर पर आक्रमण कर मुगलों की ढेर सारी संपत्ति और 200 घोड़ों पर कब्जा कर लिया। इसके परिणामस्वरूप औरंगजेब शिवाजी से खफा हो गया।
शिवाजी महाराज की वीरता और शौर्य Bravery and gallantry of Shivaji Maharaj
जब बाद में औरंगजेब अपने पिता शाहजहां को कैद करके मुगल सम्राट बना, तब तक शिवाजी ने पूरे दक्षिण में अपने पांव पसार दिए थे। इस बात से औरंगजेब भी परिचित था। उसने शिवाजी पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया। शाइस्ता खां ने अपनी 1,50,000 फौज के दम पर सूपन और चाकन के दुर्ग पर अधिकार करते हुए मावल में खूब लूटपाट की।
छत्रपति शिवाजी महाराज Chhatrapati Shivaji Maharaj को जब मावल में लूटपाट की बात पता चली तो उन्होंने बदला लेने की सोची और अपने 350 मवलों के साथ उन्होंने शाइस्ता खां पर हमला बोल दिया। इस हमले में शाइस्ता खां को बचकर निकलने में कामयाब रहा, लेकिन इस क्रम में उसे अपनी चार अंगुलियों से हाथ धोना पड़ा। बाद में औरंगजेब ने शाहजादा मुअज्जम को दक्षिण का सूबेदार बना दिया।
औरंगजेब ने बाद में शिवाजी से संधि करने के लिए उन्हें आगरा बुलाया, लेकिन वहां उचित सम्मान नहीं मिलने से नाराज शिवाजी ने भरे दरबार में अपना रोष दिखाया और औरंगजेब पर विश्वासघात का आरोप लगाया। इससे नाराज औरंगजेब ने उन्हें आगरा के किले में कैद कर दिया और उनपर 5000 सैनिकों का पहरा लगा दिया, लेकिन अपने साहस और बुद्धि के दम पर वो सैनिकों को चकमा देकर वहां से भागने में सफल रहे।
छत्रपति शिवाजी महाराज Chhatrapati Shivaji Maharaj ने अपने जीवनकाल में कई बार मुगलों की सेना को मात दी थी। बाद में 3 अप्रैल, 1680 को शिवाजी महाराज की मृत्यु हो गई, लेकिन आज भी दुनिया उनके पराक्रम और साहस को नहीं भूली है।
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