आतंकवाद एक समस्या पर निबंध हिंदी में
आतंकवाद का अर्थ
आज बच्चा बच्चा जिसे ठीक से अपना नाम – पता भी नहीं मालूम होता है उसे भी आतंकवाद के बारे में मालूम हो जाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आतंकवाद अपने चरम पर है। संयुक्त राज्य रक्षा विभाग के अनुसार यदि राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक उद्देश्य प्राप्ति के लिए सरकार और समाज को भयभीत या पीड़ित करने हेतु व्यक्तियों या संपत्तियों के विरुद्ध बल या हिंसा का गैरकानूनी या धमकी से डरने का प्रयोग करते है उसे आतंकवाद कहते हैं। और लोगों का समूह जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं या बढ़ावा देते हैं उन्हें आतंकवादी कहते हैं।
आतंकवाद का अस्तित्व एक सामाजिक मुद्दे के रूप में उभरा इसका प्रयोग आम जनमानस में और सरकार में दहशत पैदा करने के लिए होता रहा है। अपने लक्ष्य उद्देश्य को आसानी से पूरा करने के लिए विभिन्न सामाजिक संगठन, राजनीतिक दल, व्यापारी और उद्योगपति द्वारा आतंकवाद का इस्तेमाल विगत तीन-चार दशकों से हो रहा है। आज आतंकवाद केवल एक दो देशों तक सीमित नहीं है। विश्वयुद्ध के बाद से आतंकवाद का एक प्रकार से अप्रत्यक्ष तथा अघोषित युद्ध छिड़ा हुआ है। अब तो पूरी दुनिया इसकी चपेट में आ चुकी है। यह एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गया है।
आतंकवाद केवल अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मानवता के विरुद्ध किया गया विद्रोह है। आतंकवादी हमेशा अपनी इच्छा के अनुसार सकारात्मक परिणाम पाने के लिए हिंसात्मक रास्ता चुनता है, अतः यह एक हिंसात्मक कुकृत्य हैं। धर्म और अधर्म की लड़ाई तो हमेशा से चलती आई है और यह चलती रहेगी। लेकिन अधर्मी लोगों के भी कुछ उसूल होते हैं लेकिन आतंकवादी की न तो कोई उसूल होता है और ना ही कोई सीमा। अब प्रश्न यह उठता है कि आतंकवाद का जन्म कैसे हुआ? कहते हैं कि किसी भी विद्रोह का अंकुरण असंतोष से होता है।
आतंकवाद का कारण
सामान्यत: आतंकवादी भी साधारण लोग ही होते हैं या कसाब जैसे 20-२१ वर्ष के नौजवान को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन कभी-कभी अनजाने में उनके जीवन में कुछ गलत घटनाएं, किसी कारण घटित होना, कुछ प्राकृतिक आपदाएं, नेताओं जनप्रतिनिधियों नौकरशाहों की बेरुखी, कुछ कट्टरपंथी सोच रखने वाले लोग इन नौजवानों को बरगला कर आतंक के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। कभी-कभी पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार के अवसर ना मिलना, सामाजिक कुरीतियों, सामाजिक और आर्थिक असमानताओं की गहरी खाई होना, धीरे-धीरे लोगों में लोकतंत्र के प्रति विश्वास कम होते जाना आदि भी आतंकवाद की जड़ों को पोसने में मदद किया है।
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पिछले कुछ दशकों से युवा अति महत्वाकांक्षी होते गए हैं। और बिना मेहनत किए लक्ष्य हासिल करने की ललक, कट्टरपंथी स्पर्धा को जन्म दे रहा है। जिससे समाज के कुछ तबके के लोगों में आत्मविश्वास और सहनशीलता कम होने लगी है। अपनी महत्वाकांक्षाओं को हासिल करने के लिए बुरे लोगों की संगति में पडना, अभिभावक की परिवरिश और शिक्षकों की शिक्षा में धीरे-धीरे राष्ट्रवाद की भावना का कम होना और उसके प्रति समर्पण की भावना का न होने के कारण आज के युवा, आतंकवाद की ओर प्रेरित हो रहे हैं।
सांप्रदायिकता और कट्टरपंथी विचारधारा देश के दुश्मन
युवाओं को हसीन सपनों का लालच देकर बच्चों के मानस पटल पर कट्टरपंथी सोच का जाल बुन कर और मानवता को गलत तरीके से पेश करके इन मासूम बच्चों को समाज, समुदाय और राष्ट्र के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है। भारत पिछले चार दशकों से इस बीमारी से ग्रसित हैं। जम्मू-कश्मीर में तो अलगाववादियों के साथ मिलकर आतंकवादियों ने इस स्वर्ग को नरक से भी बदतर बना दिया है। आए दिन मासूम और निर्देशों को मौत के घाट उतार देते हैं। जगह-जगह बम ब्लास्ट कर अपार धन जन का नुकसान पहुंचाते हैं।
मुगल सम्राट बाबर ने कश्मीर को स्वर्ग कहा था। और आज उसी कश्मीर में मासूम लोगों के साथ मौत की होली खेली जाती है। पाकिस्तान प्रत्यक्ष युद्ध में हमसे 1949, 1962, १९६५, 1971, 1999 में मुंह की खा चुका है और उसकी औकात नहीं कि वह भारत से दो-दो हाथ सामने से कर सके, अतः वह आतंकवाद के जरिए भारत में आए दिन दहशत का माहौल बनाने में लगा है।
एक बात उतना ही सच है कहते हैं कि घर का भेदी लंका ढाए ठीक उसी प्रकार हमारे देश में कुछ अमीर राजनेता, उद्योगपति, धार्मिक गुरु, संस्थानों के लोग इन आतंकवादियों को आर्थिक और मानव श्रम की मदद पहुंचाते हैं यह गद्दार खाते हैं भारत का और गाते हैं पाकिस्तान और भारत विरोधी ताकतों का।
धर्म के नाम पर, जाति संप्रदाय के नाम पर देश के लोगो आपस लड़ना, उनके बीच मत भेद पैदा करना जैसे मानो इन लोगो ने अंग्रजो के अपनाये सूत्र का पालन कर रहे हो : “फूट डालो और शासन करो” यह निति का प्रयोग कर देश की भोली भाली जनता ऐसे धर्म के ठेकेदारों की बातो में आकर आपसी समन्वय, देश के सौहार्द को नुकसान पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते है।
धर्म के नाम पर देश में फैले दंगे जिनमे प्रमुखत: हाल ही में २०१९ – २०२० में हुए दिल्ली के दंगे, बैंगलोर में हुए दंगे, थोडा यदि समय को और पीछे ले जाये तो मुजफ्फरपुर के दंगे, गुजरात दंगा आदि ऐसे उदाहरणों से भरे पड़े है।
किसी शायर ने ठीक ही कहा है…
बर्बाद गुलिस्ता करने को बस एक ही उल्लू काफी है, यहाँ हर डाल पर उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा?





कंधार विमान अपहरण कांड, 1993 में मुंबई ब्लास्ट, अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर ११/9, मुंबई में २६/११, पुलवामा में सीआरपीएफ पर हमला, पठानकोट, उरी हमला, फ्रांस और न्यूजीलैंड में हुए घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को विवश कर दिया है की वह जल्द से जल्द इस आतंकवाद के विरुद्ध सक्त से सक्त कदम उठाये।
भारत में आतंकवादी घटनाए Major Terrorist Attacks in India
दिनांक | घटना और विवरण | स्थान | मारे गए लोग | घायल |
15 जून 1991 | 1991 पंजाब हत्याएं | पंजाब | 126 | 200 |
12 मार्च 1993 | 1993 बंबई बम विस्फोट | मुंबई | 257 | 700+ |
10 सितंबर, 2002 | रफीगंज ट्रेन का मलबा | बिहार | 200 | 150+ |
25 अगस्त 2003 | 25 अगस्त 2003 मुंबई बम विस्फोट | मुंबई | 52 | |
29 अक्टूबर, 2005 | 2005 दिल्ली बम विस्फोट- नई दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर तीन शक्तिशाली सिलसिलेवार धमाके | दिल्ली | 70 | 250 |
11 जुलाई 2006 | 2006 मुंबई ट्रेन बम विस्फोट: मुंबई में शाम की भीड़ के समय 7 ट्रेन बमबारी की श्रृंखला | मुंबई | 209 | 714 |
8 सितंबर, 2006 | 2006 मालेगांव बम विस्फोट- महाराष्ट्र के मालेगांवमें एक मस्जिद के आसपास कई बम धमाके हुए | महाराष्ट्र | 40 | 125 |
18 फरवरी, 2007 | 2007 समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट | हरियाणा | 70 | 50 |
13 मई, 2008 | जयपुर बम विस्फोट- जयपुर में 6 इलाकों में 9 बम धमाके | जयपुर | 71 | 200 |
26 जुलाई, 2008 | 2008 अहमदाबाद बम विस्फोट- अहमदाबाद में 17 सीरियल बम धमाके | गुजरात | 56 | 200 |
30 अक्टूबर, 2008 | 2008 असम बम विस्फोट | असम | 81 | 470 |
26 नवंबर, 2008 | 2008 मुंबई हमले | मुंबई | 171 | 239 |
17 मई 2010 | 2010 दंतेवाड़ा बस बम विस्फोट | छत्तीसगढ़ | 31-44 | 15 |
23 दिसंबर 2014 | दिसंबर 2014 असम हिंसा | असम | 85 | |
14 फरवरी, 2019 | 2019 पुलवामा हमला | अवंतीपोरा, जम्मू-कश्मीर | 46 |
पूरब से पश्चिम, और उत्तर से दक्षिण भारत में चारो तरफ इस आतंकवाद ने अपनी जड़ फैलाई। यह तमाम घटनाओ को देखो और भी न जाने ऐसी कितनी घटनाये होंगे, जिसमे देश को छत विछत किया गया है, या कहे तो भारत को नुकसान पहुँचाने की कोशिशे की गयी. यह सब किसी प्राकृतिक दुर्घटना के शिकार नहीं हुए, यह सभी आतंकी हमले से हुए है. और इन सबका का जिम्मेदार एक मात्र है देश में छुपे आस्तीन के सांप के रूप में छिपे देश के दुश्मन और यह आतंकवाद।
अब वक्त आ गया है कि सभी देश मानवता की रक्षा के लिए एक साथ मिलकर आतंकवाद पर सामूहिक प्रहार करें तभी पृथ्वी पर मानव और उसके मानवता जिंदा रहेगी। भारत पिछले चार दशकों से अरबों खरबों रुपए इस आतंकवाद जैसे बीमारी को खत्म करने के लिए खर्च कर चुका है लेकिन जब तक देश में छुपे मानवता के दुश्मनों को पहचान कर उन्हें मौत के घाट नहीं उतारा जाएगा तब तक हम जन और धन दोनों गवांते रहेंगे। आतंकवाद दीमक की तरह देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर रहा है।
कभी-कभी सोचता हूं कि यदि आतंकवाद नहीं होता तो भारत अपने अरबों खरबों रुपए जो आतंकवाद पर खर्च किया था वह कैसे देश की बुनियादी ढांचे जैसी स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, कल-कारखाने बनाने में खर्च करता तो आज हमारे पूर्वजों के सपनों की भारत की तस्वीर कुछ और ही होती। आतंकवाद सरकार के बूते या सरहदों पर खड़े जवानों के बूते समाप्त नहीं हो सकता। देश का हर एक नागरिक जवान (देश का सिपाही)है और जरूरी नहीं कि यह जवान सरहद पर ही अपना कर्तव्य निभाए बल्कि हर नागरिक जागरूक होकर देश के प्रति छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को निभा सकता है।
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आतंकवाद के विरुद्ध एक सामान्य नागरिक का कर्तव्य
हर एक नागरिक के मन में यह भाव होना चाहिए वह अपने देश का सिपाही है। और समाज में छुपे गद्दारों को बेनकाब करना चाहिए क्योंकि आज भारत को बाहरी आक्रमण से नहीं बलिक आंतरिक गद्दारों से अधिक खतरा है अतः हर नागरिक को चौकन्ना रहकर अपने आसपास में हो रहे संदिग्ध गतिविधियों या संदिग्ध लोगों की जानकारी सुरक्षाकर्मी को देनी चाहिए। जिस दिन भारत के 135 करोड़ लोग देश के जागरूक प्रहरी बन जाएंगे तो दुनिया में कोई माई का लाल नहीं जो भारत की ओर आँख उठाकर देख सके।
कुछ दहशत गर्द लोग वक्त के साथ-साथ आतंकवादियों के तकनीक का सहारा लेकर सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज़ फैलाकर भारत के आपसी भाईचारा और सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं अतः लोगों को सतर्क रहकर अपने आपसी भाईचारे के रिश्ते को इतना मजबूत और भरोसेमंद बनाना चाहिए ताकि हर साजिश को नाकाम किया जाए। कुछ कट्टरवादी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के बच्चों में देश विरोधी भावनाओं को भड़का कर उन्हें देश के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं। अत: माता-पिता को भी बच्चों की हर हर हरकतों और गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए और देशहित में उन्हें कदम उठाना चाहिए तभी हम सच्चे अर्थों में आतंकवाद से बाहर निकल सकते हैं और खुशहाल समाज बना सकते हैं।





आतंकवाद रोकने के उपाय
आंतंकवाद को रोकने के लिए घर की सफाई
आंतंकवाद को रोकने के लिए घर की सफाई का मतलब है, देश भीतर छुपे देश द्रोहियों को, धर्म के नाम पर दहशत फ़ैलाने वाले और उनका साथ देने वाले आस्तीन के सांपो को दूध पिलाना बंद करना चाहिए. ऐसे लोगो पर तुरंत क़ानूनी कार्यवाही होनी चाहिए और उन्हें सक्त से सक्त सजा यहाँ तक की उन्हें सीधे फांसी पर लटका देना चाहिए। या ऐसा सक्त सजा देना चाहिए जिससे ऐसी हरकत दुबारा न कर सके जिससे देश की आन बान शान को ठेस पहुंचे।
दंगाईयों पर लगाम
दंगा करने वाले पर आपने अभी हाल ही में देखा हो उत्तर प्रदेश में की जो भी लोग दंगे में सामिल थे उनसे दंगे में हुए नुकसान और जान माल की हानि की भरपाई उन्ही दंगाईयो से किया जायेगा, साथ ही साथ उन्हें सजा भी दी जाएगी, यदि ऐसा ही कानून पुरे भारत पर लागु हो तो कुछ हद तक दंगे को रोकने में मदद मिल सकता है।
भ्रष्ट नेता और अफसर पर कठोर कार्यवाही
भारत के नेताओ से लेकर पुलिस विभाग, सरकारी कर्मचारी हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है, बिना पैसे या रिश्वत के कोई कार्य नहीं होता है, ऐसे लोगो पर शक्त कारवाही होनी चाहिए, और उनके काम पारदर्शी होने चाहिए। जिससे एक सामान्य नागरिक को सरकार द्वारा चलाये जा रहे योजनाओ को पा सके।
प्रत्येक नागरिक में देश प्रेम का भाव जगाना
देश के हर एक व्यक्ति में देश प्रेम जगाना जरुरी है, देश के प्रति सम्मान, निष्ठा, को सर्वोपरि रखना यह देश के बच्चे बच्चे के दिलों में होना चाहिए। जैसा की आप जानते होंगे इजराइल जैसे छोटे देश पर ताकत और शक्ति के मामले में भारत से कहीं आगे है, वहां प्रत्येक नागरिक को सैन्य प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है, जो सच में हम भारतीयों को भी उनसे सिखने की जरुरत है।
एक सभ्य और शिक्षित समाज
देश की शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाने की जरुरत है. अभी देश के करीब आधे लोग अशिक्षित या बेहतर शिक्षा से वंचित है, जिस पर सरकार को सर्व शिक्षा अभियान को कागजों से जमीनी स्तर तक लाना होगा, समाज शिक्षित होगा, तो फेक न्यूज़, अफवाहों, और किसी की कही बातों में नहीं आएगा, और वह देश के विकास में सहयोग भी देगा।
गरीबी और बेरोजगारी हटाना
गरीबी और बेरोजगारी हटाने से भी बहुत हद तक ऐसी घटनाओ पर कम होने में असरकारक होगा। यह भी एक बड़ी समस्या है नक्सलवाद को बढ़ावा देना। समाज के युवा वर्ग को जब कोई रोजगार नहीं मिलता है तब वह दुर्भाग्यवस् ऐसी ऐसी संगठनों से जुड़ जाता है जहाँ से उन्हें मुंह मागी रकम मिलता है जिसके बदले ऐसे संगठन इन देश के युवाओ से हिंसा करना, दंगा करना, देश के संपत्तियों को नुकसान पहुँचाने जैसे काम करवाते है।
देश के पिछड़े गाँव और लोगो को आगे लाना
अब आप सोचेंगे की यह कैसी समस्या है, इनके लिए पहले से आरक्षण जैसी व्यवस्था है। तो फिर इन्हें क्या जरुरत है। तो आपको बता दें, की आरक्षण को शुरुवाती समय में एक निश्चित समय के लिए लागु किया गया था, उसके बावजूद भी देश को आजाद हुए 75 वर्ष होने जा रहा है फिर भी देश की करीब 70 से 80 प्रतिशत जनसख्या गरीबी रेखा के नीचे है। आरक्षण का लाभ सही मायने में जिन गरीब लोगो तक जाना चाहिए वह अब तक उनके पास नहीं जा पा रहा है।
इसलिए सरकार को ऐसे तमाम बातों को एक बार भी फिर से विचार करने की आवश्यकता है, और यदि वह सच में देश का विकास चाहते है तो उन्हें ऐसे तमाम नियमों को लागु करना होगा और उसपर काम करना होगा.
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