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4 Important Tree and Uses of Trees mahatwapurna vruksha ped
मत काटो मत छाल उतारो,
मुझको पत्थर से मत मरो
uses of trees in our daily life
मत काटो मत छाल उतारो,
मुझको पत्थर से मत मरो
फल तो ऐसे भी देता हूँ,
कब किसी को रोका,
जग कि सेवा कर लेने दो,
मुझको पत्थर से मत मरो
थके प्यासे राही आकर,
छाव मेरी वो लेते है,
नहीं पूछता धर्म किसी का, नहीं देखता रंग किसी का,
शुद्ध हवा और प्राण वायु इन्हें मैं देता हूँ,
मत काटो मत छाल उतारो,
मुझको पत्थर से मत मरो,
छोटे छोटे बच्चे आकर,
फल और फूलों के तोड़ ले जाते,
रोता हूँ मेरे बच्चों को देख,
पर खुश हो जाता तुम्हारे बच्चों कि मुस्कान देख,
नहीं कोसता कभी तुम्हे,
जब तुम आते मुझे काटने,
मत काटो मत छाल उतारो,
मुझको पत्थर से मत मरो,
मेरा घर बर्बाद कर
अपना घर बनाते हो,
मेरी छाया में बैठ अपना दुःख दर्द बांटते हो,
अपनी प्यारी प्यारी बातों को बैठ मुझे बतलाते हो,
फिर पता नहीं कुछ रोज बाद,
तुम मुझे काटने आ जाते हो,
मत काटो मत छाल उतारो,
मुझको पत्थर से मत मरो
मुझे माफ़ करों मैं न कभी तुम्हे टोकूंगा,
ले जाओ मेरे प्यारे फल फुल
मैं न कभी रोऊंगा,
पर मत काटो मत छाल उतारो,
मुझको पत्थर से मत मरो
जग कि सेवा कर लेने दो,
मुझको पत्थर से मत मरो |
पेड़ो का महत्त्व
4 Important Tree and Uses of Trees mahatwapurna vruksha ped
ऐसे होते है हमारे वृक्ष. सच में इतना परोपकारी होने के बाद भी बदले में हम क्या देता है, कुछ नहीं. मानव जाति हमेशा से अपने स्वार्थ, अपने लालच के लिए पेड़ों को काटते आये है. जब कि हमें ये पेड़ आक्सीजन, हवा, फल, फुल यहाँ तक कि इनके सूखे पत्ते, और लकड़ियों को भी हम नहीं छोड़ते है.
हमारे यहां वृक्ष वेद में वृक्ष को लगाने से उनकी अलग-अलग विशेषताओं के बारे में लिखा है और क्या आप जानते हैं कि वैदिक काल में पॉल्यूशन या प्रदूषण नाम की कोई चीज ही नहीं थी पर्यावरण में किसी भी मिलावट को सीधा पर्यावरण में जहर घोलने के बराबर (Poisoning of environment)समझा जाता था और यह एक दंडनीय अपराध था
वृक्ष और हमारा जीवन Trees and Our Life
हम वनस्पतियों के सभी अवयव फल, फुल, डाली, जड़, टहनी,शाखाये,पत्ते इन सभी का उपयोग आदि काल से करते आ रहे है. वृक्ष इनके आलावा भू क्षरण को रोकने, जमींन के अन्दर पानी कि बहाव को रोकने में, छाया प्रदान करने, मिटटी कि उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में, वर्षा होने में सहायक, और तो और प्राण वायु आक्सीजन भी हमें वृक्षों से ही मिलता है इनके आलावा प्रदुषण को कम करने में भी वृक्ष सहायक होते है.
साथ ही साथ वनस्पतियों से तरह तरह के औषधि बनाई जाति है जिससे अनेको रोगों का निदान होता है. ऐसे कल्पवृक्ष जिसके प्रत्येक अंग मानव कल्याण के लिए हितकारी होता है.
वन्य जीवन की सुरक्षा खासतौर पर हाथियों जैसे जानवरों की सुरक्षा हमारे यहां चंद्रगुप्त मौर्य और कौटिल्य के समय से चली आ रही है पशुओं के प्रति क्रूरता तब एक दंडनीय अपराध था सम्राट अशोक के राज्य में भी वन और वन्य सुरक्षा अनिवार्य थी विश्व का पहला जानवरों का अस्पताल अशोक के समय पाटलिपुत्र में बनाया गया था लेकिन फिर यह व्यवस्था बदल गयी मुगलों और फिर अंग्रेजों की गुलामी में पर्यावरण के साथ हमारा रिश्ता तोड़ दिया.
What about trees in our vedas and Epics
जब अंग्रेज यहां आए तो हमारे पास समृद्ध प्राकृतिक संसाधन (rich natural resources) को देख कर दंग रह गए. यह सब देख वह भारत को लुटाने के फ़िराक में आगये, सबसे पहले उन्होंने हमारे जंगलों पर कब्जा किया और हमारे पेड़ काटना शुरू कर दिया
दस कूप समा वापी,दस वापी समो हद: दस हद सम: पुत्रो, दस पुत्र समो दुम:||
मत्स्य पुराण के एक श्लोक में वृक्ष को पुत्र से ऊपर माना गया है. 10 कुओं के बराबर है एक तालाब 10 तालाबों के बराबर है एक जल स्रोत और 10 जल श्रोतों के बराबर है एक पुत्र और 10 पुत्रों के बराबर है एक वृक्ष.
वृक्ष पेड़ Tree 4 Important Tree and Uses of Trees वेदों पुराणों में भी वृक्ष के बारे बहुत सी बातें मिलती है.
पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर एम.एम.सक्सेना का कहना है कि एक पेड़ एक जिंदगी के समान होता है। एक पेड़ से सिर्फ लकड़ी मिलती है, पशुओं को चारा, मनुष्यों को ऑक्सीजन, पक्षियों को बसेरा, कीटपतंगों का भी पोषण होता जिनकी प्रकृति के संचालन में महती भूमिका मानी जाती है।
पुष्पे: सुरगणान वृक्षा: फलेश्चापी तथा पितृन|
छायया चतिथिम तात पूजयन्ति महिरुहा:||
Vedon me tree ke bare me
4 Important Tree and Uses of Trees mahatwapurna vruksha ped
वेदों में, पुराणों, रामायण, महाभारत, साहित्यों आदि में वृक्षों कि महिमा का गुणगान दैविक काल से किया गया है. महाभारत में भी में लिखे गए श्लोक दर्शाते है वृक्ष का हमारे जीवन में कितना महत्त्व है. इस श्लोक में बताया गया है कि फूलों से देवताओ कि पूजा होती है, फलों से पितरों कि पूजा होती है, और साथ ही साथ वृक्षों कि छाया से मेहमानों का सत्कार किया जाता है.
इसलिए वृक्ष हमेशा पूज्यनीय होते है. हमारे देश में तरह तरह के अनगिनत पेड़ है जिनमे आम, पीपल, बरगद, नीम, अशोक, बकुल, पलाश, सीसम, जैसे छायादार वृक्ष है. इन सभी विषयों के बारे में रामायण काल में राम लक्ष्मण, सीता का वनवास काल हो या , महाभारत में जंगलों में बिताया हुआ पांडवो का अज्ञात वास, में आज से हजारों वर्षो पहले से वर्णन मिलता है.
अर्थवेद व आयुर्वेद में जिन औषधियों का जिक्र है वह सभी का आधार वृक्ष के पत्ते, जड़ ताना, फुल, फल, अर्क, गोंद आदि है. जिससे विभिन्न रोगों का निदान किया जाता था. आज इन वेदों के आधार पर पूरी दुनिया भारत कि ओर देख रही है. और इन सबका मूल कारण है वृक्ष.
औषधि के लिए नीम, तुलसी, हर्रे, एरंडी, बहेड़ा, हल्दी, अदरक, एलोविरा, जामुन, गुडहल, जैसे अनेको वृक्षों से औषधि बनाने का ज्ञान हमारे वेदों में निहित है.
भारत में तो वृक्षों कि छाया में बड़े बड़े विद्वान आपना ज्ञान अर्जित किये है जिसमे आप बोध गया के गौतम बुद्ध को ले लें या फिर आधुनिक काल में रवीन्द्रनाथ टैगोर जी को लें. जिन्होंने वृक्षों कि शीतलता, ठंडक, और उसकी आकर्षण को ध्यान में रख कर शांति निकेतन बनाया और जिसे अपने गुरु के सामान आदर दिए.
वृक्षों का उपयोग uses of trees
4 Important Tree and Uses of Trees mahatwapurna vruksha ped
वृक्षों कि विशेषताओ को जितना भी उकेरे वह कम है. हजारों वर्षो से वृक्षों के कारण ही पृथ्वी का अस्तित्व बना है. वृक्षों का यह परोपकारी परिचय आज कि इस आधुनिकता में खो सी गई है. जिसे पुन: जागृत करना अत्यंत आवश्यक है. हमें यह मानना होगा कि यही इश्वर है, यही गुरु, है और यही जीवनदाता और संरक्षक है. इसके बिना मानव जा जीवित रहना दूभर हो जायेगा. क्युकी वृक्ष ही है जो शिव जी कि तरह पृथ्वी के जहर को अवशोषित कर सकती है.
आज तरह तरह के प्रदुषण, कल कारखानों के वायु, वनों के दूषित और जानलेवा विषैले गैस को वृक्ष ही है जो उन्हें अवशोषित कर रही हा और उसके बदले हमें प्राण वायु दे रही है. पर इन विषैले गैसों कि मात्रा बढ़ गयी है वृक्षों कि मात्रा जरुरत से बहुत कम हो चुकी है और साथ ही साथ जनसँख्या वृद्धि दर पहले के मुकाबले अधिक हो चूका है.
इन सके परिणाम अब देखने को मिलने लगा है पृथ्वी पर जगह जगह क्षरण हो रहा है, प्रदुषण के कारण बिमारियों में वृद्धि होने लगा है. कहीं आकाल पड़ना, हो कहीं भयानक बाढ़ का सामान पूरी दुनिया कर रही है. पर्यावरण के जानकरी बताते है कि पृथ्वी का तापमान बढ़ने लगा है और यदि ऐसे ही बढ़ने लगा तो वह दिन दूर नहीं जिसमे पृथ्वी का विनाश निश्चित है. पर्यावरण का भयावह चेहरा दुनिया देखने लगी है, अत: हम पर्यावरण को राक्षस न कह कर हम खुद वह राक्षस बन बैठ है.
हम सब मानव जाति को समय रहते समझाना होगा और पेड़ों कि कटाई पर रोक लगाना होगा. जितन अधिक से अधिक होगा हमें पेड़ लगाने होंगे. बच्चों से लेकर युवाओ को पेड़ का महत्त्व समझना होगा.
किसी ने कहा है भविष्य को अगर अच्छा उपहार देना है और उन्हें एक अच्छा जीवन देना है तो सबसे पहले पर्यावरण को समृद्ध बनाओ इससे सुन्दर उपहार और कई नहीं हो सकता है.
वृक्षों के उपयोग Uses of Trees
- पेड़ जलवायु परिवर्तन (Climate change) से बचाते हैं।
- पेड़ हवा को साफ करते हैं और ऑक्सीजन देते है।
- पेड़ सड़कों और शहर को ठंडा करते हैं
- पेड़ ऊर्जा का संरक्षण करते हैं
- पेड़ पानी बचाते हैं, जल प्रदूषण को रोकने में मदद करते हैं
- पेड़ मिट्टी के कटाव व क्षरण को रोकने में मदद करते हैं
- पेड़ भोजन प्रदान करते हैं
- पेड़ वन्यजीवों के लिए एक शामियाना और आवास प्रदान करते हैं
- पेड़ लकड़ी प्रदान करते हैं
भारत के बड़े वृक्ष जिनमे आम, पीपल , नीम, बरगद जिन्हें आज हम अपना पूर्वज या हमारे गाँवों में इन्हें बुजुर्ग कहकर सम्मान देते है. इनके बारे में जानते है.
4 Important Tree and Uses of Trees mahatwapurna vruksha ped
आम Mango Fruit
आम का नाम सुनते ही मुहं पानी आ जाता है और आये भी क्यूँ आम का स्वाद ही इतना प्यारा होता है जो हर किसी को पसंद आ जाये. आम को फलों का राजा कहा जाता है आम के विभिन्न प्रकार है सभी के स्वाद व रंग रूप भी भिन्न है, आम एक ऐसा पेड़ है जो पहले भारतीय उपमहाद्वीप में ही मिलती थी उसके बाद धीरे धीरे दुनिया के बाकि देशो में फैलने लगा. आम का उत्पादन दुनिया भर में भारत में सबसे अधिक होता है. और यही कारण है आम भारत का राष्ट्रीय फल है.
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भारत में आम से आचार, चटनी, मुरब्बा, जाम आदि बनाया जाता है. यही कारण है आम पुरे भारत में खाया जाना वाला और पसंद किया जाने वाला फल है.
दुनिया का 41 फीसदी आम का उत्पादन भारत करता है। भारत के अलावा चीन और थाईलैंड इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं। आम का पेड़ आम का पेड़(Mangifera Indica) यह साधारणरूप से ३५ ते ४० मीटर ऊंचा और उसका घेर साधारण रूप से १० मीटर इतना होता है। आम के पत्ते सदाबहार होते हैं। पत्ते डंगाल पर एक के बाद एक आते हैं। आम के पत्ते १५ ते ३५ सेंटिमीटर लंबे तो ६ से १६ सेंटिमीटर चौडे होते हैं।
आम की किस्में Types of Mango
- बंबइया
- अल्फोंसो/बादामी
- तोतापरी
- मालदा
- पैरी
- सफ्दर पसंद
- सुवर्णरेखा
- दशहरी/दशहरी
- सुन्दरी
- लंगडा
- राजापुरी
- सफेदा लखनऊ
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पीपल Peepal Tree
पीपल का पेड़ भारत में पूज्यनीय माना जाता है भारत लोग इसकी पूजा भी करते है, भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है.
भारत, नेपाल, श्री लंका, चीन और इंडोनेशिया में पाया जाने वाला एक विशालकाय वृक्ष है पीपल कि उम्र काफी लंबे समय के लिए होता है। पीपल की लकड़ी ईंधन के काम आती है किंतु यह किसी इमारती काम या फर्नीचर के लिए अनुकूल नहीं होती।
स्वास्थ्य के लिए पीपल को अति उपयोगी माना गया है। पीलिया, रतौंधी, मलेरिया, खाँसी और दमा तथा सर्दी और सिर दर्द में पीपल की टहनी, लकड़ी, पत्तियों, कोपलों और सीकों का प्रयोग का उल्लेख मिलता है।
स्कन्द पुराण में वर्णित है कि अश्वत्थ (पीपल) के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं।भगवान कृष्ण कहते हैं- समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ शास्त्रों में वर्णित है कि पीपल की सविधि पूजा-अर्चना करने से सम्पूर्ण देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं।
बरगद Bargad Tree/ Banyan Tree
बरगद भी एक लम्बे समय तक रहने वाला विशाल वृक्ष है। भारत में कुछ स्थानों पर तो यह वृक्ष करीब २०० वर्षो से भी अधिक समय से है. इसे ‘वट’ और ‘बड़’ भी कहते हैं। हिंदू धर्म में वट वृक्ष की बहुत महत्ता है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिमूर्ति की तरह ही वट,पीपल व नीम को माना जाता है, अतएव बरगद को शिव समान माना जाता है। अनेक व्रत व त्यौहारों में वटवृक्ष की पूजा की जाती है। यह आस्था के ऊपर निर्भर करता है। यह एक सदाबहार पेड़ है,
भारत में बरगद प्राचीन काल से एक महत्त्वपूर्ण वृक्ष माना गया है। यजुर्वेद, अथर्ववेद, रामायण, महाभारत, शतपथ ब्राह्मण, ऐतरेय ब्राह्मण, महोपनिषद, सुभाषितावली, मनुस्मृति, रघुवंश और रामचरितमानस आदि ग्रंथों में इसका उल्लेख किया गया है। हिन्दुओं में बरगद के सम्बन्ध में अनेक धार्मिक विश्वास और किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। जेठ मास की अमावस्या को की जाने वाली ‘वट सावित्री’ की पूजा इसका प्रमाण है। बरगद को पवित्र वृक्ष मानने के कारण इसे काटना पाप समझा जाता है।
4 Important Tree and Uses of Trees mahatwapurna vruksha ped
संस्कृत में यह वृक्ष न्यग्रोथ, वट आदि नामों से पुकारा जाता है। वनस्पति निघंटुओं में इसके 29 नामों का उल्लेख किया गया है। अवरोही, क्षीरी, जटाल, दांत, ध्रुव, नील, न्यग्रोथ, पदारोही, पादरोहिण, पादरोही, बहुपाद, मंडली, महाच्छाय, यक्षतरु, यक्षवासक, यक्षावास, रक्तपदा, रक्तफल, रोहिण, वट, वनस्पति, वास, विटपी, वैश्रवण, श्रृंगी, वैष्णवणावास, शिफारूह, स्कंधज एवं स्कंधरूहा, ये सभी नाम बरगद की संरचना सम्बन्धी विशेषताओं और इसके गुणों पर आधारित हैं।
बरगद के इन्ही विशेषताओ के कारण इन्हें राष्ट्रीय वृक्ष भी कहा जाता है.
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बरगद एक विशाल, ऊँचा और बहुत बड़े क्षेत्र में फैलने वाला वृक्ष है। इसकी ऊँचाई 20 मीटर से 30 मीटर तक हो सकती है। प्राय: यह देखा गया है कि जंगल में स्वत: विकसित बरगद के तने अधिक मोटे नहीं होते। इसके विपरीत खुले एवं सूखे स्थानों पर पाये जाने वाले बरगद के तने अधिक मोटे होते हैं। इसका तना ऊपर उठकर अनेक शाखाओं और उपशाखाओं में विभक्त हो जाता है।
इसकी शाखाओं और उपशाखाओं की एक विशेषता यह है कि ये चारों ओर फैली होती हैं। तने और शाखाओं की मोटाई एवं स्वरूप पर इसकी आयु का प्रभाव पड़ता है। छोटे और नये बरगद के वृक्षों का तना गोल और शाखाएँ चिकनी होती हैं तथा पुराने वृक्षों के तने और शाखाएँ खुरदरे एवं पपड़ी वाले होते हैं। इस प्रकार के वृक्षों के तनों के लम्बे, चौड़े घेरे गोल न होकर अनेक तारों जैसी जटाओं का समूह सा लगते हैं।
World Oldest Banyan Tree
यह कलकत्ता के आचार्य जगदीश चन्द्र बोसे बोटोनिकल गार्डेन में यह बरगद का वृक्ष करीब २५० वर्षो से अधिक समय से है. यह करीब १४५०० वर्ग मीटर में फैला हुआ है. इसके करीब ३६०० जड़े है जो ऊपर ऊपर दिखाई देते है. यह आज भी स्वस्थ ह ठीक इसी तरह का वृक्ष बंगलौर और उड़ीसा में भी स्थित है.
वट वृक्ष या बरगद के औषधीय प्रयोग
- इसके दूध को नाभि में लगाने से अतिसार ( डायरिया ) में लाभ होता है
- वट वृक्ष हमारे धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है . यह पर्यावरण की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण है . इसकी जड़ें मिटटी को पकड़ के रखती है और पत्तियाँ हवा को शुद्ध करती है .यह कफ पित्त नाशक ,रक्त शोधक ,गर्भाशय शोधक और शोथहर है.
- इसके दूध की कुछ बुँदे सरसों के तेल में मिलाकर कान में डालने से कान की फुंसी नष्ट हो जाती है
- पत्तों पर घी लगा कर बाँधने से सुजन दूर हो जाती है .
- इसकी छाल और जटा के चूर्ण का काढा मधुमेह में लाभ देता है .
नीम Neem Tree
यह सदियों से समीपवर्ती देशों- पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि देशों में पाया जाता रहा है। नीम एक तेजी से बढ़ने वाला पर्णपाती पेड़ है, जो 15-20 मी (लगभग 50-65 फुट) की ऊंचाई तक पहुंच सकता है और कभी-कभी 35-40 मी (115-131 फुट) तक भी ऊंचा हो सकता है। नीम गंभीर सूखे में इसकी अधिकतर या लगभग सभी पत्तियां झड़ जाती हैं। इसकी शाखाओं का प्रसार व्यापक होता है। तना अपेक्षाकृत सीधा और छोटा होता है और व्यास में 1.2 मीटर तक पहुँच सकता है। 20-40 सेमी (8 से 16 इंच) तक लंबी प्रत्यावर्ती पिच्छाकार पत्तियां जिनमें, 20 से लेकर 31 तक गहरे हरे रंग के पत्रक होते हैं जिनकी लंबाई 3-8 सेमी (1 से 3 इंच) तक होती है।
आयुर्वेद में नीम को बहुत ही उपयोगी पेड़ माना गया है। इसका स्वाद तो कड़वा होता है लेकिन इसके फायदे अनेक और बहुत प्रभावशाली है।
नीम के औषधीय प्रयोग
नीम की छाल का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों और घावों के निवारण में सहायक है।
नीम की दातुन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और कांतिवान होती है
ये खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
नीम की पत्तियों के रस और शहद को २:१ के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है
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