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Karak in hindi grammar | कारक और कारक के प्रकार
karak in hindi grammar
Hindi Grammar – hindi grammar syllabus class 10 cbse 2020-21
कारक कुल आठ प्रकार के होते है. karak in hindi grammar Karak aur uske prakar Karak ke prakar
karak table | hindi grammar 12th class
कारक | विभक्तियाँ | अर्थ |
1. कर्ता | ने | काम करने वाला |
2. कर्म | को | जिस पर काम का प्रभाव पड़े |
3. करण | से, द्वारा | जिसके द्वारा कर्ता काम करें |
4. सम्प्रदान | को, के लिये, हेतु | जिसके लिए क्रिया की जाए |
5. अपादान | से (अलग होने के अर्थ में) | जिससे अलगाव हो |
6. सम्बन्ध | का, की, के, रा, री, रे | अन्य पदों से सम्बन्ध |
7. अधिकरण | में, पर, विषय में | क्रिया का आधार |
8. सम्बोधन | हे! अरे! ऐ! ओ! हाय! हे! अरे! अजी! | किसी को पुकारना, बुलाना |
कारक के भेद | karak ke bhed in hindi | hindi grammar karak
1-कर्ता कारक(karta karak)
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध हो, उसे कर्ता कारक कहते हैं।
चिन्ह : “ने”
उदाहरणार्थ –
- दीपक ने पुस्तक पढ़ी।
- उसने कहाँ चले जाओ
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2-कर्मकारक(karmkarak)
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप पर क्रिया का प्रभाव या फल पङे, उसे कर्म कारक कहते हैं।
कर्म के साथ ’को’ विभक्ति आती है। इसकी यही मुख्य पहचान होती है।
- पुलिस ने चोर को पकड़ा.
- राहुल को सब मालूम है।
कर्म कारक के अन्य उदाहरण:
- अध्यापक छात्र को पीटता है।
- सीता फल खाती है।
- ममता सितार बजा रही है।
- राम ने रावण को मारा।
- गोपाल ने राधा को बुलाया।
- मेरे द्वारा यह काम हुआ।
- कृष्ण ने कंस को मारा।
- राम को बुलाओ।
- बड़ों को सम्मान दो।
- माँ बच्चे को सुला रही है।
- उसने पत्र लिखा।
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3-करण कारक(karan karak)
जिस साधन से अथवा जिसके द्वारा क्रिया पूरी की जाती है, उस संज्ञा को करण कारक कहते हैं।
इसकी मुख्य पहचान ’से’ अथवा ’द्वारा’ है
उदाहरणार्थ –
आदि कलम से लिख रहा था.
वह सड़क से घर जा रहा था.
4-सम्प्रदान कारक (samprdaan karak)
जिसके लिए क्रिया की जाती है, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं।
इसमें कर्म कारक ’को’ भी प्रयुक्त होता है, किन्तु उसका अर्थ ’के लिये’ होता है।
उदाहरणार्थ –
बच्चे मैदान में खेलने के लिए जाते है.
वह सुरेश को फोन करता है.
संप्रदान कारक के अन्य उदाहरण:
- गरीबों को खाना दो।
- मेरे लिए दूध लेकर आओ।
- माँ बेटे के लिए सेब लायी।
- अमन ने श्याम को गाड़ी दी।
- मैं सूरज के लिए चाय बना रहा हूँ।
- मैं बाजार को जा रहा हूँ।
- भूखे के लिए रोटी लाओ।
- वे मेरे लिए उपहार लाये हैं।
- सोहन रमेश को पुस्तक देता है।
- भूखों को अन्न देना चाहिए।
- मोहन ब्राह्मण को दान देता है।
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5-अपादान कारक(apadaan karak)
अलग होना- यह अपादान का अर्थ है। जिस किसी शब्द में संज्ञा अथवा सर्वनाम से किसी वस्तु विशेष का अलग होना मालुम पड़ता हो, उसे अपादान कारक कहते हैं।
करण कारक की भाँति अपादान कारक का चिन्ह भी ’से’ है, परन्तु करण कारक में इसका अर्थ सहायता होता है और अपादान में अलग होना होता है।
उदाहरणार्थ –
- हिमालय से गंगा निकलती है।
- वृक्ष से पत्ता गिरता है।
इन वाक्यों में ’हिमालय से’, ’वृक्ष से’, ’घोङे से’ अपादान कारक है।
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6-सम्बन्ध कारक(sambandh karak)
संज्ञा अथवा सर्वनाम के जिस रूप से एक वस्तु का सम्बन्ध दूसरी वस्तु से जाना जाये, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं।
इसकी मुख्य पहचान है – ’का’, ’की’, के।
उदाहरणार्थ –
- कमल की किताब मेज पर है।
- राम का घर दूर है।
सम्बन्ध कारक क्रिया से भिन्न शब्द के साथ ही सम्बन्ध सूचित करता है।
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7-अधिकरण कारक (adhikaran karak)
संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं।
इसकी मुख्य पहचान है ’में’, ’पर’।
उदाहरणार्थ –
यहाँ ’घर पर’, ’घोंसले में’, और ’सङक पर’, अधिकरण है।
अधिकरण कारक के अन्य उदाहरण :
- हरी घर में है।
- पुस्तक मेज पर है।
- पानी में मछली रहती है।
- फ्रिज में सेब रखा है।
- कमरे के अंदर क्या है।
- कुर्सी आँगन के बीच बिछा दो।
- महल में दीपक जल रहा है।
- मुझमें शक्ति बहुत कम है।
- रमा ने पुस्तक मेज पर रखी।
- वह सुबह गंगा किनारे जाता है।
- कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ था।
- तुम्हारे घर पर चार आदमी है।
- उस कमरे में चार चोर हैं।
8-सम्बोधन कारक(sambodhan kaarak)
संज्ञा या जिस रूप से किसी को पुकारने तथा सावधान करने का बोध हो, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं।
इसका सम्बन्ध न क्रिया से और न किसी दूसरे शब्द से होता है। यह वाक्य से अलग रहता है। इसका कोई कारक चिन्ह भी नहीं है।
उदाहरणार्थ – कारक और कारक के प्रकार Karak aur Karak ke prakar
- खबरदार! उससे बात नहीं करनी है.
- रीना को मत मारो।
- अरे भैया ! क्यों रो रहे हो ?
- हे गोपाल ! यहाँ आओ।
कर्म कारक और सम्प्रदान कारक में अंतर :
इन दोनों कारक में को विभक्ति का प्रयोग होता है। कर्म कारक में क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है और सम्प्रदान कारक में देने के भाव में या उपकार के भाव में को का प्रयोग होता है। जैसे :-
- विकास ने सोहन को आम खिलाया।
- मोहन ने साँप को मारा।
- राजू ने रोगी को दवाई दी।
- स्वास्थ्य के लिए सूर्य को नमस्कार करो।
करण कारक और अपादान कारक में अंतर :
करण और अपादान दोनों ही कारकों में से चिन्ह का प्रयोग होता है। परन्तु अर्थ के आधार पर दोनों में अंतर होता है। करण कारक में जहाँ पर से का प्रयोग साधन के लिए होता है वहीं पर अपादान कारक में अलग होने के लिए किया जाता है। कर्ता कार्य करने के लिए जिस साधन का प्रयोग करता है उसे करण कारक कहते हैं। लेकिन अपादान में अलगाव या दूर जाने का भाव निहित होता है। जैसे :-
- मैं कलम से लिखता हूँ।
- जेब से सिक्का गिरा।
- बालक गेंद से खेल रहे हैं।
- सुनीता घोड़े से गिर पड़ी।
- गंगा हिमालय से निकलती है।
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