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The grasshopper and the ants hindi me kahani
The grasshopper and the ants hindi me kahani
चींटी और आलसी टिड्डा ant and grasshopper story moral
The grasshopper and the ants hindi me kahani
बहुत साल पहले एक घास के मैदान में चींटी और टिड्डा रहते थे दिनभर चीटियां बहुत काम करती थी। दिन भर वह गेहूं लाने का कठोर काम तो करती थी और उनका यह कार्य बड़े ही अनुशासन से चलता था और सुबह वह जल्दी में रहती थी सुबह की पहली किरण के साथ वह अपने सर पर बड़े ही भारी गेहूं के दाने लेकर संतुलन संभालते घर जाती। गेहूं का एक एक दाना ध्यान से रखती और फिर से गेहूं लाने के लिए चली जाती। दिन भर वह चिट्टियां मेहनत करती है
और वहीं दूसरी तरफ वो आलसी टिड्डा गांव में एक पेड़ की छाव में बैठकर अंगूर खाता और गाने गाता था। भविष्य में क्या कब हो जाए इसकी फिक्र किए बिना वो आराम से जीता था। पर दिन भर काम करने वाली बेचारी चीटियों पर दया आती थी।
1 दिन हर रोज की तरह सारी चींटियां दाने ला रही थी तब उनमें से एक चींटी भारी दाने के वजह से नीचे गिर गई और उसे चोट लगने से रोने लगी। टिड्डा वहीं पास बैठा था। वह उस चींटी की मदद करने के बजाय उसे देखकर हंसने लगा। चीटियों ने कहा कि “टिड्डा महाशय यह दाने उठाकर मेरे सर पर रख दो या फिर इसे घर छोड़ आने में मेरी मदद करोगे क्या ?” मैं आपकी बहुत एहसानमंद रहूंगी। टिड्डा चीटियों की बातों को अनसुना करके अपने में मस्त हो गया।
चिट्टियां अपनी मेहनत से वह दाना उठाती चलती जाती। यह देखकर टिड्डा ने चींटी से कहा “तुम इतनी मेहनत क्यों करती हो ? प्यारी चींटी थोड़ा सा आराम कर और मेरा गाना भी सुन लो। क्यों इतनी मेहनत करके इतने अच्छे गर्मियों के दिनों को बेकार जाने दे रहे हो?” चींटी ने उसकी बात को अनसुना करके अपनी गर्दन घुमा ली। और चली गई तभी टिड्डा फिर जोर से हंसा और बोला “तुम बड़ी ही बेवकूफ चींटी हो।”
तभी चींटी को गुस्सा आया और चींटी ने जोर से कहा “मैं बारिश के लिए खाना इकट्ठा कर रही हूं और तुम्हें भी ऐसा करना चाहिए।” टिड्डा ने कहा “बारिश की चिंता इतनी क्यों करनी? अभी तो हमारे पास बहुत सारा खाना है। और बहुत सारा वक्त भी।” – hindi kahani chiti aur tiida ki
चींटी ने फिर से उसे गुस्से से देखा और चली गई और देखते ही देखते गर्मियों का मौसम बारिश में बदल गया। सूरज अब बहुत ही कम दिखाई देता था दिन छोटा और रात बड़ी और अंधेरी थी। हर तरफ भयानक बारिश हो रही थी। टिड्डा ठंड से कापने लगा। वह खुद को सूखे पत्तों से बचाने लगा परंतु जोर से हवा चलने पर उसे ठंड लग रहा था। टिड्डे के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा था।
टिड्डे को अब समझ में आने लगा था कि अगर उसे कुछ खाने के लिए नहीं मिला तो मर जाएगा। पुरे बरसात में वह खूब रोया पछताया और अपनी गलती महसूस करने लगा। उसे समझ आ गया कि चीटियां ही सही थी उसे भी तैयारी करनी चाहिए थी। टिड्डे को अब अपना नाचना गाना पसंद ही नहीं आ रहा था। इस बार की बरसात इतनी भयानक होगी यह उसने सोचा भी नहीं था।
टिड्डे को चीटियों का घर दिखा टिड्डा खाने की तलाश में चीटियों के घर गया और दरवाजा खटखटाया। तभी उसी चींटी ने दरवाजा खोला जिसका वह टिड्डा एक वक्त मजाक उड़ाया करता था। काँपते हुए कहा कि “बहन कृपया मुझे कुछ खाने के लिए दे दो।”
चीटियों में से किसी ने कहा तू अब आया है, जब हम मेहनत कर रहे थे तब तुम हमारा मजाक बना कर हम हँस रहे थे। अब तो हम नहीं देंगे खाना ऐसा कह कर चींटी ने दरवाजा बंद कर दिया और अंदर घर में चली गई। अब टिड्डा भूख से और परेशान होने लगा और खाने के लिए चिल्लाता रहा और चिल्लाते चिल्लाते उसने दम तोड़ दिया।
सीख : बुरे दिनों में हम हमेशा सही सलामत रहे सके उसके लिए अच्छे दिनों में और मेहनत करना चाहिए। और जीवन में अच्छे बुरे दिन एक समान नहीं होते। हमारे जीवन में कुछ दिन अच्छे तो कुछ दिन बुरे भी होते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रख जीवन को जीना चाहिए.
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The grasshopper and the ants hindi me kahani
The ant and the grasshopper moral story in marathi मुंगी आणि आळशी ग्रासॉपर
खूप वर्षांपूर्वी एका कुरणात मुंग्या आणि एक तृणधान्य राहत होते, मुंग्या दिवसभर खूप काम करायच्या. दिवसभर गहू आणण्याचे कष्ट ती करत असे आणि तिचे काम अतिशय शिस्तीने होत असे आणि ती पहाटे लवकर राहायची. गव्हाचा एकेक दाणा जपून ठेवायचा आणि पुन्हा गहू घ्यायला जायचा. ती दिवसभर काबाडकष्ट करते आणि दुसरीकडे ती आळशी टोळ गावात झाडाच्या सावलीत बसून द्राक्षे खात आणि गाणी गात असे. भविष्यात काय होणार याची चिंता न करता तो आरामात जगला. पण दिवसभर काम करणाऱ्या बिचाऱ्या मुंग्यांची दया आली.
एके दिवशी रोजच्या प्रमाणे सर्व मुंग्या धान्य आणत होत्या, तेवढ्यात एक मुंग्या जड दाण्यामुळे खाली पडल्या आणि दुखापत झाल्यामुळे रडू लागल्या. तिथं शेजारीच टोळ बसला होता. मुंगीला मदत करण्याऐवजी तो तिच्याकडे बघून हसायला लागला. मुंग्या म्हणाल्या, “सर, टोळ, हे धान्य उचलून माझ्या डोक्यावर टाका की मला घर सोडायला मदत कराल?” मी तुमचा खूप ऋणी राहीन. मुंग्यांच्या बोलण्याकडे दुर्लक्ष करून तो टोळ स्वतःमध्ये मग्न झाला.
तिच्या मेहनतीने ती धान्य उचलत राहिली. ते पाहून टोळ मुंगीला म्हणाला, “तू एवढी मेहनत का करतेस? गोड मुंगी, थोडी विश्रांती घे आणि माझे गाणे ऐक. इतके कष्ट करून उन्हाळ्याचे चांगले दिवस का वाया जाऊ देत आहेत?” मुंगीने त्याच्याकडे लक्ष न देता मान वळवली. आणि निघून गेला, मग तो टोळ पुन्हा जोरात हसला आणि म्हणाला, “तू खूप मूर्ख मुंगी आहेस.” मग मुंगीला राग आला आणि मुंगी जोरात म्हणाली, “मी पावसासाठी अन्न गोळा करत आहे आणि तुम्हीही तेच करा.” टोळ म्हणाला, “पावसाची एवढी काळजी कशाला? सध्या आपल्याकडे भरपूर अन्न आहे. आणि वेळही खूप आहे.”
मुंगीने पुन्हा तिच्याकडे रागाने पाहिले आणि निघून गेली आणि लवकरच उन्हाळ्याचे वातावरण पावसात बदलले. आता सूर्य क्वचितच दिसत होता; दिवस लहान होता आणि रात्र मोठी आणि गडद होती. सर्वत्र भयंकर पाऊस पडत होता. टोळ थंडीने थरथरू लागला. तो कोरड्या पानांनी स्वतःचे संरक्षण करू लागला, पण जोराचा वारा वाहू लागल्यावर त्याला थंडी जाणवली. तृणधान्याकडे खायला काहीच उरले नव्हते.
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काही खायला मिळालं नाही तर मरणार हे त्या टोळक्याला आता समजू लागलं होतं. संपूर्ण पावसात तो खूप रडला, पश्चाताप झाला आणि त्याला त्याची चूक कळू लागली. त्याला समजले की मुंग्या बरोबर आहेत, त्यानेही तयारी करायला हवी होती. टवाळखोराला त्याचे नृत्य गाणे आता आवडत नव्हते. यावेळी पाऊस इतका भयंकर असेल याची त्याने कल्पनाही केली नव्हती. अन्नाच्या शोधात तृणधान्याने मुंग्यांच्या घरी जाऊन दार ठोठावले. मग त्याच मुंगीने दार उघडले, ज्याची टोळधाड एकेकाळी चेष्टा करत असे. ती थरथरत म्हणाली, “बहिणी प्लीज मला काहीतरी खायला द्या.”
काही मुंग्या म्हणाल्या की तू आता आला आहेस, आम्ही कष्ट करत असताना तू आमची चेष्टा करत होतास आणि आम्ही हसत होतो. आता आम्ही अन्न देणार नाही, असे म्हणत मुंगी दरवाजा बंद करून घरात गेली. आता त्या टोळक्याला भुकेने जास्त त्रास होऊ लागला आणि तो अन्नासाठी ओरडत राहिला आणि तो ओरडतच मेला.
धडा- ant and grasshopper story moral: वाईट दिवसात, चांगल्या दिवसात आपण अधिक मेहनत केली पाहिजे जेणेकरून आपण नेहमी सुरक्षित राहू शकू. आणि आयुष्यातील चांगले आणि वाईट दिवस सारखे नसतात. आपल्या आयुष्यात काही दिवस चांगले तर काही दिवस वाईट असतात. त्यामुळे हे लक्षात घेऊन जीवन जगले पाहिजे.
The ant and the grasshopper moral story in english
Ant and Lazy Grasshopper
Many years ago, there lived an ant and a grasshopper in a meadow, the ants used to work a lot throughout the day. She used to do the hard work of bringing wheat throughout the day and her work was done with great discipline and she used to stay early in the morning. Each grain of wheat would be kept carefully and again went to get the wheat.
She works hard all day long and on the other hand she used to sit under the shade of a tree in the lazy grasshopper village, eating grapes and singing songs. He lived comfortably without worrying about what would happen in the future. But the poor ants who worked all day long had pity.
One day, like every day, all the ants were bringing the grains, then one of them fell down because of the heavy grain and started crying because of the hurt. The grasshopper was sitting there nearby. Instead of helping the ant, he started laughing at her. The ants said, “Sir, grasshopper, pick these grains and put them on my head or will you help me to leave the house?” I will be very grateful to you. The grasshopper became engrossed in himself by ignoring the words of the ants.
With her hard work, she kept on picking grains. Seeing this, the grasshopper said to the ant, “Why do you work so hard? Sweet ant, take some rest and listen to my song. Why are you letting such good summer days go to waste by working so hard?” The ant turned its neck unnoticed by him. And went away, then the grasshopper laughed loudly again and said, “You are a very stupid ant.” Then the ant got angry and the ant said loudly “I am collecting food for the rain and you should do the same.” The grasshopper said “Why worry so much about the rain? Right now we have a lot of food. And a lot of time too.”
The ant again looked at her angrily and went away and soon the summer weather turned into rain. The sun was rarely visible now; the day was short and the night long and dark. It was raining terrible everywhere. The grasshopper started trembling with cold. He began to protect himself with dry leaves, but he felt cold when a strong wind blew. The grasshopper had nothing left to eat.
The grasshopper was now beginning to understand that if he did not get anything to eat, he would die. Throughout the rain, he cried a lot, regretted it and started realizing his mistake. He understood that the ants were right, he should have prepared too. The grasshopper did not like singing his dance anymore.
He had not even imagined that this time the rain would be so terrible. The grasshopper went to the ants’ house in search of food and knocked on the door. Then the same ant opened the door, which the grasshopper once used to make fun of. She said tremblingly, “Sister please give me something to eat.”
Some of the ants said that you have come now, when we were working hard, you were making fun of us and we were laughing. Now saying that we will not give food, the ant closed the door and went inside the house. Now the grasshopper started getting more troubled by hunger and kept screaming for food and he died while screaming.
Lesson – the grasshopper and the ants hindi me kahani : In the bad days, we should work harder in the good days so that we can always be safe. And good and bad days in life are not the same. Some days are good and some days are bad in our life. Therefore, keeping this in mind, life should be lived.
Credit : The grasshopper and the ants hindi me kahani